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मणिपाल हॉस्पिटल नयी दिल्ली ने अपने तरीके का एक नया कार्डिओ इ-ओपीडी सतना में शुरू करने जा रहा है

सतना, जून 8 2020, नयी दिल्ली स्थित मणिपाल हॉस्पिटल ने मंगलवार 9 जून को सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक सतना क्षेत्र के  लोगों को  विश्व स्तरीय स्वस्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए एक कार्डिओ वैस्कुलर इ-ओपीडी सेवा शुरू करने जा रहा है| ये लोग गैर संचरिय रोग जैसे कार्डिओ वैस्कुलर रोग जिसका कारण खैनी खाना, धूम्रपान, मोटापा, मधुमेह(डायबिटीज) और उत्तरक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) का अतिरिक्त भार वहन  कर रहे हैं| यह इ-ओपीडी सार्थक अस्पताल, सतना के सहयोग से प्रायोजित किया जायेगा| इस इ-ओपीडी के दौरान डॉ वाई के मिश्रा, क्लीनिकल सेवा के प्रमुख, हृदय विज्ञानं के हेड और चीफ कार्डिओ वैस्कुलर सर्जन, मणिपाल हॉस्पिटल नयी दिल्ली द्वारा रोगियों को सार्थक अस्पताल में स्थित बड़े स्क्रीन, वीडियो पर परामर्श दिया जायेगा और जिन रोगियों को खास कार्डिओ ट्रीटमेंट और देखभाल की ज़रुरत होगी उन्हें विशिष्ट स्थानीय चिकित्सकों से सलाह लेना का परामर्श भी देंगे| स्थानीय लोगों के लिए उत्तम कार्डिओ वैस्कुलर उपचार की अनिवार्यता को देखते हुए मणिपाल हॉस्पिटल नयी दिल्ली ने शहर में एक नियमित मासिक कार्डिओ ओपीडी चलने की योजना बनायी है जबकि कोवीड 19 के फैलने और लॉकडाउन के कारण पुराने प्रस्तावित सामान्य ओपीडी सेवा को शुरू करने की योजना को स्थगित करना पड़ा| इस सेवा में अतिरिक्त विलम्ब उन रोगियों के लिए घातक हो सकता है जो गंभीर हृदय रोग से ग्रसित हैं| इस तथ्य को महसूस करते हुए अस्पताल ने नए तरीके से इ-ओपीडी द्वारा चिकित्सक सलाह देने की शुरुवात की है| जब तक परिस्थितियां सामान्य नहीं हो जाती तब तक मणिपाल हॉस्पिटल नियमित रूप से इ-ओपीडी  सेवा प्रदान करती रहेगी|

इ-ओपीडी सेवा का लक्ष्य ह्रदय रोगों और उनके नवीनतम उपचार के बारे में जागरूकता बनाने का भी है| यह सेवा एक जाने माने कार्डिओ वैस्कुलर चिकित्सक के द्वारा चलाया जायेगा जो घातक ह्रदय रोगों से लड़ने के लिए उत्तम श्रेणी का उपचार, सेवा और स्वस्थ ह्रदय के लिए टिप्स भी देंगे|

हॉस्पिटल देश के अलग अलग हिस्सों में  विभिन्न रोगों के लिए ओपीडी आयोजित कर रही है| मणिपाल हॉस्पिटल, जिसके पास उच्च विशेषता की हृदय सम्बन्धी रोगों के लिए सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस, स्टेट ऑफ़ आर्ट और पेशेंट सेंट्रिक सेवाएं उपलब्ध हैं, अब गंभीर ह्रदय रोगों से ग्रसित लोगों को अग्रणी उपचार भी प्रदान करेगा जिन्हें आधुनिक उपचार की आवशकता है| इस क्षेत्र के लिए इ-ओपीडी लॉन्च करने की घोषणा करते हुए डॉ मिश्रा ने कहा, “हार्ट फेलियर समेत ह्रदय रोग, भारत में रोगों का एक मुख्या कारण है और कुल मृत्यु दर में इसकी विशेष भूमिका है| ह्रदय विशेषज्ञों द्वारा एक चिंतित करने वाला एक ट्रेंड देखा गया है जो बदलते जीवन शैली, खानपान की आदतें, शहरी क्षेत्रों में उच्च तनाव, अनियंत्रित शराब पीना, और नशीले पदार्थों का उपयोग है  जो युवाओं में भी हार्ट फेलियर के रिस्क फैक्टर को बढ़ता है| हार्ट फेलियर की बढ़ती हुई घटनाएं सबसे बड़ा चिंता का विषय है| हार्ट फ़ैल का मतलब है कि ह्रदय को जितना रक्त पंप करने की ज़रुरत है उतना नहीं कर पा रहा| यह हृदय के बायीं तरफ़ का फेलियर भी हो सकता है या दाहिनी तरफ का हो सकता है या दोनों तरफ़ का हो सकता है.”

मणिपाल हॉस्पिटल, नयी दिल्ली ने हाल में हृदय प्रत्यारोपण के लिए लाइसेंस प्राप्त किया है| इस प्रक्रिया को करने की स्टेट ऑफ़ आर्ट सुविधा है|

उन्होंने बताया, ”क्षेत्र में बढ़ते हृदय रोगों को देखते हुए हम यह उम्मीद करते हैं कि लोगों की एक बड़ी संख्या मणिपाल हॉस्पिटल द्वारा आयोजित इ-ओपीडी सेवा का लाभ उठाएगी जिसके पास एक सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस फॉर कार्डिओ वैस्कुलर डिसीसेस है और जिसकेपास इस श्रेणी का उत्तम उपचार, नवीनतम प्रक्रिया जैसे हृदय प्रत्यारोपण और उसकी देखभाल करना है|

विशेषज्ञों के अनुसार हार्ट फेलियर का मुख्या कारन इस्केमिक हार्ट डिजीज, वैलबुलर हार्ट डिजीज, डायबिटीज मेलिटस और हाई ब्लड प्रेशर है|

डॉ मिश्रा के अनुसार जैसे-जैसे हृदय की विफलता बढ़ती है, दवाइयों का असर कम हो जाता है और अंततः रोगी को सर्जिकल प्रक्रिया की आवश्यकता हो सकती है जैसे हृदय प्रत्यारोपण या लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस (LVAD) और टोटल अर्टिफिशियल हार्ट (TAH) जो अब हार्ट फेलियर का इलाज करने के लिए उपलब्ध हैं|

“हृदय प्रत्यारोपण में हम एक मस्तिष्क-मृत इंसान का हृदय लेते हैं और उसके बाद रोगी के रोगग्रस्त हृदय को निकाल कर इस हृदय को प्रत्यारोपित कर दिया जाता है| ऑपरेशन के बाद अधिकतर रोगियों को सामान्यतः चार पांच दिनों में शिफ्ट कर दिया जाता है और दस-पंद्रह दिनों में अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है| लेकिन हृदय प्रत्यारोपण में सबसे बड़ी बाधा डोनर(दाता) की उपलब्धि है” उन्होंने बताया.

विशेषज्ञ लोगों को सलाह देते हैं की वे अपना लाइफस्टाइल बदलें, अपने खान पान पर ध्यान दें और हृदय रोगों से दूर रहने के लिए व्यायाम करें| चिकित्सकीय विज्ञान की उन्नति की वजह से नवीनतम प्रत्यारोपण तकनीक और उपकरण रोगियों के लिए एक वरदान है जो जीवन घातक हार्ट फेलियर से ग्रसित हैं|

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