ब्रिटेन में भेदभाव / पुलिस से लेकर पॉलिटिक्स तक हर क्षेत्र में अश्वेतों को लगता है कि उनके साथ दोहरा व्यवहार हो रहा, 58% अश्वेत मानते हैं कि सरकार रेसिस्ट है
लंदन. अमेरिका में अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस द्वारा हत्या के बाद पूरे देश में प्रदर्शनों का दौर जारी है। वहीं, इस बीच अमेरिकी समाचार चैनल सीएनएन ने अश्वेतों को लेकर एक सर्वे किया। इसमें 1535 ब्रिटिश नागरिकों को शामिल किया गया, जिनकी उम्र 18 साल से अधिक है। 12 से 14 जून तक हुए इस सर्वे में लगभग 500 अश्वेत लोगों ने भी हिस्सा लिया। सर्वे में अलग-अलग पैरामीटर्स पर श्वेत, अश्वेत और अन्य अल्पसंख्यकों की राय ली गई।
पुलिस के बर्ताव को लेकर राय-
- पुलिस को लेकर भी श्वेत और अश्वेत दोनों की अलग-अलग राय है। इस सर्वे के मुताबिक, करीब 49 फीसदी अश्वेत मानते हैं कि पुलिस उनके साथ ठीक व्यवहार नहीं करती है। जबकि ऐसा मानने वाले श्वेतों की संख्या 26% है। इसके साथ ही हर दस में से 6 लोग यानी करीब 59 फीसदी अश्वेत मानते हैं कि पुलिस उनके परिवार के लोगों के साथ सही व्यवहार नहीं करती है।
- वहीं, 10 में से तीन श्वेत ही ऐसे हैं, जिन्हें लगता है कि पुलिस उनके परिजन के साथ अच्छे से पेश नहीं आती है। इस सर्वे की मानेंगे तो 54% अश्वेतों को लगता है कि पुलिस इंस्टीट्यूशनली रेसिस्ट है। जबकि श्वेत वर्ग में ऐसा मानने वाले लोगों की संख्या 27% है।
- ब्लैक लाइव्स मैटर को लेकर ब्रिटेन में अक्सर प्रदर्शन देखने को मिलते हैं। बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जिन्हें लगता है कि अश्वेतों के साथ सही व्यवहार नहीं होता है।
- उपनिवेशवाद को बढ़ावा देने वाले को लेकर राय
- पोल के मुताबिक, 66 फीसदी अश्वेतों को ऐसे लोगों की मूर्तियों से दिक्कत है, जिन्होंने दास व्यापार या उपनिवेशवाद को बढ़ावा दिया था। वहीं, ऐसा मानने वाले श्वेतों की संख्या इनसे आधे से भी कम लगभग 30% है। इसके साथ ही हर 10 में से 6 यानी 60% अश्वेत इन मूर्तियों को हटवाने के पक्ष में हैं। वहीं, ऐसा मानने वाले श्वतों की संख्या 10 में से तीन यानी करीब 28 फीसदी है।
मीडिया में कम स्पेस पाने का मलाल-
- मीडिया में भागीदारी को लेकर करीब 67 फीसदी अश्वेत मानते हैं कि उन्हें बहुत कम स्पेस दिया जा रहा है। वहीं, ऐसा मानने वाले श्वेतों का आंकड़ा करीब 27% है। करीब 44 फीसदी श्वेत ऐसा मानते हैं कि मीडिया में अश्वेतों को ठीक-ठाक जगह मिलती है, जबकि इनसे सहमत होने वालों अश्वेतों की संख्या करीब 17% है।
- करीब 50 फीसदी श्वेत मानते हैं कि अश्वतों के साथ मीडिया न तो बहुुत अच्छा व्यवहार करती है न तो बहुत बुरा व्यवहार करती है। वहीं, इनसे सहमत होने वाले अश्वेतों की संख्या 21 फीसदी है। लगभग 48 फीसदी अश्वेतों का मानना है कि श्वेत वर्ग के सेलिब्रिटी की तुलना में उनके साथ बुरा व्यवहार होता है।
- 64 फीसदी अश्वेतों का कहना है कि ब्रिटेन ने नस्लीय हिंसा को कम करने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाया है।
- प्रोफेशनल लाइफ में अश्वेतों को कम अवसर
- अगर प्रोफेशनल लाइफ में सफलता की बात करें तो करीब 69 % अश्वेतों का मानना है कि उनके रंग की वजह से उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया जाता है, उन्हें श्वेतों की तुलना में कम अवसर मिलता है। वहीं, इनसे सहमत होने वाले श्वेतों की संख्या 29% है।
सरकार को लेकर राय
- ब्रिटेन की मौजूदा बोरिस सरकार (कंजर्वेटिव पार्टी) को लेकर भी लोगों ने अपनी राय रखी। 58 फीसदी अश्वेत ऐसा मानते हैं कि सरकार इंस्टीट्यूशनली रेसिस्ट है, जबकि 39फीसदी श्वेत इनसे सहमत हैं। वहीं अगर विपक्ष की लेबर पार्टी को लेकर इनका मत देखें तो करीब 31 फीसदी अश्वेत मानते हैं कि यह इंस्टीट्यूशनली रेसिस्ट है, जबकि इनसे सहमत होने वाले श्वेतों की संख्या 34 फीसदी है।
- करीब 64 फीसदी अश्वेतों का मानना है कि यूनाइटे़ड किंगडम (यूके) ने ऐतिहासिक नस्लीय अन्याय को काफी कम एड्रेस किया है, जबकि 35 फीसदी श्वेत इनसे सहमत हैं। वहीं, करीब 27% अश्वेतों को लगता है कि यूके ने नस्लीय अन्याय को कम करने के लिए बहुत कुछ किया है। इनसे सहमत होने वाले श्वेत वर्ग के लोगों की संख्या 54 फीसदी है।