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प्रधानमंत्री का लद्दाख दौरा LIVE / गलवान झड़प के 18 दिन बाद मोदी 11 हजार फीट ऊंची फॉरवर्ड लोकेशन पर पहुंचे, जवानों ने वंदेमातरम के नारे लगाए; राजनाथ बोले- सेना का मनोबल बढ़ा

लद्दाख. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह 8.30 बजे अचानक लद्दाख पहुंच गए। गलवान की झड़प के 18 दिन बाद मोदी लद्दाख का दौरा कर रहे हैं। पहले से इसकी जानकारी नहीं थी, लेकिन मोदी के लद्दाख पहुंचने की खबर अचानक आई।

मोदी ने नीमू में 11 हजार फीट ऊंची फॉरवर्ड लोकेशन पर आर्मी, एयरफोर्स और आईटीबीपी के जवानों से बात की। नीमू से चीन की दूरी सिर्फ 250 किलोमीटर है। प्रधानमंत्री ने जवानों से बातचीत का फोटो इंस्टाग्राम पर शेयर किया है। वे गलवान झड़प में घायल हुए सैनिकों से भी मुलाकात करेंगे। मोदी के साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और आर्मी चीफ एमएम नरवणे भी हैं।

राजनाथ के जाने का कार्यक्रम था, मोदी पहुंच गए
राजनाथ सिंह का गुरुवार को लद्दाख जाने का कार्यक्रम था, लेकिन टाल दिया गया। आज फिर उम्मीद की जा रही थी कि राजनाथ लद्दाख पहुंचेंगे, लेकिन अचानक मोदी पहुंच गए। मोदी का लद्दाख दौरा विपक्ष को जवाब के तौर पर भी देखा जा रहा है। चीन के मुद्दे पर राहुल लगातार मोदी पर निशाना साध रहे थे। उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री चीन का समर्थन क्यों कर रहे हैं? उन्हें सब कुछ साफ-साफ बताना चाहिए।

मोदी के दौरे पर कांग्रेस का तंज 
पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने ट्वीट कर कहा है कि जब इंदिरा गांधी लेह गई थीं तो पाकिस्तान के 2 हिस्से हुए थे। अब देखते हैं कि मोदी क्या करते हैं

मोदी ने कहा था- हमें जवाब देना आता है
मोदी ने 28 जून को मन की बात कार्यक्रम में कहा था कि लद्दाख में भारत की भूमि पर आंख उठाकर देखने वालों को करारा जवाब मिला। हमें दोस्ती निभाना और आंखों में आंखें डालकर जवाब देना आता है। अपने वीर सपूतों के परिवारों के मन में जो जज्बा है, उन पर देश को गर्व है। लद्दाख में हमारे जो वीर जवान शहीद हुए हैं, उनके शौर्य को पूरा देश नमन कर रहा है।

सर्वदलीय बैठक में कहा था- सेना को फ्री हैंड दिया
गलवान की घटना के बाद मोदी ने 19 जून को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। मीटिंग में उन्होंने कहा कि सेना को फ्री हैंड दे दिया है। इससे पहले कहा था कि हमारे जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी। हम शांति चाहते हैं, लेकिन कोई उकसाएगा तो जवाब देने में भी सक्षम हैं।

तनाव कम करने के लिए भारत-चीन की आर्मी के अफसरों की बातचीत भी हो रही है। 30 जून को लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की तीसरी मीटिंग हुई थी। उसमें इस बात पर जोर रहा है कि विवादित इलाकों से सैनिक हटाए जाएं।

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