Fri. Nov 1st, 2024

उत्तर प्रदेश में वापस लौटे बेरोजगार प्रवासी मज़दूर सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलने से परेशान, ऋण जाल में फंसने और मानव तस्क री का शिकार बनने का खतरा बढ़ा

समाज को मानव तस्‍करी से मुक्‍त बनाने के उद्देश्‍य के साथ कार्यरत सिविल सोसाएटी ऑर्गेनाइजेसंश (सएसओ) के नेटवर्क, ह्यूमन लिबर्टी नेटवर्क (एचएलएन) ने उत्तर प्रदेश के 6 जिलों में 400 से अधिक लोगों के बीच किए गए एक सर्वेक्षण के नतीजों को आज जारी किया। सर्वेक्षण में वापस लौटे प्रवासी मज़दूर श्रमिकों की आजीविका, स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं तक पहुंच, पोषण और मूलभूत आवश्‍यकताओं से संबंधित प्रमुख चुनौतियों का खुलासा किया गया है। यह चुनौतियां उनके लिए ग्रामीण संकट, ऋण बंधक और मानव तस्‍करी के जोखिम को बढ़ाने वाली हैं। यह सर्वेक्षण कमजोर लोगों के लिए सहायता तंत्र को तेजी से कार्यान्वियत करने के लिए राज्‍य सरकार और समुदाय आधारित संगठनों के बीच लक्षित और समन्वित प्रयासों की आवश्‍यकता पर बल देता है।

सर्वेक्षण के परिणामों पर बोलते हुए, ह्यूमन लिबर्टी नेटवर्क के एक सदस्य ने कहा, कोविड-19 और लॉकडाउन का सबसे अधिक बुरा प्रभाव उन समुदायों पर पड़ा है, जो पहले से ही वंचित और संकट में फंसे हुए हैं। नेटवर्क ने आजीविका, स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा, पोषण और आवश्‍यक बुनियादी जरूरतों पर कोविड-19 से पड़े प्रभाव का पता लगाने के लिए यह सर्वेक्षण किया गया था। यह सर्वेक्षण जमीनी वास्‍तविकता को समझकर इन प्रभावों और मानव तस्‍करी एवं बंधक स्थितियों के बीच लिंक को दिखाता है। इसके साथ ही यह सरकार को नीति-उन्‍मुख फैसले लेने में मदद करता है।

ग्रामीण संकट और मानव तस्‍करी को कम करने के लिए तत्‍काल आवश्‍यकताओं नामक सर्वेक्षण में निम्‍नलिखित विचलित कर देने वाली जानकारी सामने आई:  

  • मई 2020 में बेरोजगारी दर में 23.8 प्रतिशत का इजाफा, मनरेगा के तहत काम की मांग में 307 प्रतिशत की वृद्धि, विशेष उपायों का खराब कवरेज और कॉमन सर्विस सेंटर्स (सहज) की निम्‍न कार्यक्षमता।
  • अध्‍ययन क्षेत्र में 60.77 प्रतिशत पंचायतों ने पिछले 2 माह में किए गए किसी भी वीएचएनडी का सर्वेक्षण नहीं किया है।

 सरकारी योजनाओं तक पहुंचने में कुछ प्रमुख चुनौतियां:

  • संस्‍थागत आपूर्ति में गिरावट– भदोही और प्रयागराज में सबसे ज्‍यादा गिरावट दर्ज की गई। इस वजह से, महिलाओं को सरकारी लाभ का फायदा नहीं मिल पा रहा है और मजबूरन उन्‍हें साहूकारों से ऋण लेना पड़ रहा है। इससे उनके लिए बंधुआ मजदूर बनने और मानव तस्‍करी का खतरा बढ़ रहा है।
  • वीएचएनडी और एएनएम/आशा वर्कर्स आदि के माध्‍यम से दी जाने वाली स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं में कमी के कारण बच्‍चों और महिलाओं में खून की कमी के मामलों में वृद्धि। सर्वेक्षण में शामिल चंदौली (66.4 प्रतिशत और 55.4 प्रतिशत) और आजमगढ़ (61.8 प्रतिशत और 61.7 प्रतिशत) में सबसे ज्‍यादा मामलों की वजह से यहां आपातकालीन स्‍वास्‍थ्‍य जरूरतों के लिए ऋण बंधक का जोखिम सबसे ज्‍यादा।
  • एकीकृत बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस) के तहत मिलने वाले लाभ प्राप्‍त करने में कठिनाई। सर्वेक्षण में शामिल भदोही (57 प्रतिशत) और प्रयागराज (44 प्रतिशत) में बहुत से बच्‍चे आंगनवाड़ी केंद्रों (एडब्‍ल्‍यूसी) में पंजीकृत नहीं हैं, जिससे कुपोषण के मामले बढ़ रहे हैं।
  • प्रधानमंत्री उज्‍जवला योजना के तहत मुफ्त राशन और मुफ्त गैस सिलेंडर हासिल करने में परेशानी।

 

तत्‍काल हस्‍तक्षेप को रेखांकित करते हुए, ह्यूमन लिबर्टी नेटवर्क की सिफारिशें:

  • आजीविका में सुधार: अनिवार्य रूप से घर-घर जाकर जॉब कार्ड का रजिस्‍ट्रेशन करना चाहिए। सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) गतिविधियों के माध्‍यम से मनरेगा पर जागरूकता बढ़ाई जाए। मनरेगा जॉब कार्ड के लिए अकेली महिला का रजिस्‍ट्रेशन किया जाए। सीएससी के स्किल मैपिंग, बढ़ते कवरेज और कार्यक्षमता के अनुसार कार्य दायरे का विस्‍तार किया जाए।
  • नॉन-कोविड संबंधी स्‍वास्‍थ्‍य मामले: आयुष्‍मान भारत सहित सरकारी स्‍वास्‍थ्‍य योजनाओं के कवरेज का विस्‍तार होना चाहिए। विशेषकर सबसे कमजोर समुदायों के लिए आपातकालीन स्‍वास्‍थ्‍य खर्च की जरूरत को पूरा किया जाना चाहिए, जो ऋण बंधक का सबसे प्रमुख कारण है।
  • शिक्षा व्‍यवस्‍था को बेहतर बनाना:
    • विशेष उपाय किए जाएं ताकि कमजोर वर्ग के बच्‍चे जल्‍द से जल्‍द स्‍कूल लौट सकें।
    • स्‍कूल न जाने वाले बच्‍चों की पहचान की जाए। उन्‍हें दोबारा पंजीकृत करने और बनाए रखने का काम विशेष कार्यकर्ताओं को सौंपा जाना चाहिए।
    • क्‍वॉरंटीन सेंटर बनाए गए स्‍कूलों को दोबारा सामान्‍य बनाने के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए।
  • सभी योजनाओं के लिए बेहतर उपाय: गरीबों को मुफ्त राशन वितरण के लिए केवाईसी जरूरी होता है। जीविका सेल्‍फ हेल्‍प ग्रुप्‍स द्वारा बिना राशन कार्ड वाले गरीब परिवारों की पहचान करने की प्रक्रिया को और बेहतर बनाया जाए।

हमारा सुझाव है कि सरकार को प्रमुख सामाजिक प्रतिभागियों के साथ मिलकर पिछड़े व वंचित समुदायों की समस्‍याओं को सुलझाया जाना चाहिए। रोजगार सेवकों द्वारा घर-घर जाकर वापस लौटे प्रवासियों का जॉब कार्ड रजिस्‍ट्रेशन करवाना सुनिश्चित करना चाहिए और निगरानी व्‍यवस्‍था को बेहतर बनाना चाहिए।

 लॉकडाउन के परिणामस्‍वरूप, प्रवासियों के वापस लौटने के कारण उत्‍तर प्रदेश सबसे ज्‍यादा प्रभावित राज्‍यों में से एक है। सर्वेक्षण के अनुसार यहां 32 लाख प्रवासी मज़दूर वापस लौटे हैं। इतनी बड़ी संख्‍या क्षेत्र में सामाजिक अन्‍याय में वृद्धि के प्रत्‍यक्ष प्रभाव को दर्शाता है। मजबूत प्रवर्तन और बहु-प्रतिभागियों के बीच बेहतर समन्‍वय वापस लौटने वाले प्रवासियों के जीवन को शोषण और मानव तस्‍करी से बचाने में महत्‍वपूर्ण भुमिका निभा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *