लद्दाख में चीन बैक फुट पर / गलवान झड़प के 21 दिन बाद चीन की सेना 2 किमी पीछे हटी, लेकिन गहराई वाले इलाकों में बख्तरबंद गाड़ियां अब भी मौजूद
लद्दाख. गलवान की झड़प के 21 दिन बाद चीन एलएसी पर 2 किलोमीटर पीछे हट गया है। 15 जून की झड़प के बाद दोनों देशों के बीच हुई डिप्लोमैटिक और आर्मी लेवल की मीटिंग्स के साथ ही पिछले 48 घंटों में लगातार कोशिशों के बाद यह संभव हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शुक्रवार को अचानक हुए लद्दाख दौरे के बाद तनाव कम करने की कोशिशें तेज हो गई थीं। मोदी ने लद्दाख सीमा से बिना नाम लिए चीन को चुनौती दी थी कि उसे विस्तारवादी नीति छोड़ देनी चाहिए।
30 जून को दोनों देशों के आर्मी अफसरों के बीच मीटिंग में विवाद वाले इलाकों से सैनिक पीछे हटाने पर सहमति बनी थी। हालांकि, गलवान के गहराई वाले इलाकों में चीन की बख्तरबंद गाड़ियां अब भी मौजूद हैं। भारतीय सेना हालात पर नजर रख रही है। भारत-चीन के बीच 15 जून को गलवान में हुई झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। चीन के भी 40 सैनिक मारे गए, लेकिन उसने यह कबूला नहीं।
लद्दाख में जवानों के लिए स्पेशल टेंट का ऑर्डर दिया जाएगा
लद्दाख में भारत ने 30 हजार अतिरिक्त जवान तैनात किए हैं। उन्हें ठंड से बचाने के लिए स्पेशल टेंट्स के इमरजेंसी ऑर्डर दिए जाएंगे। सेना के सीनियर अफसरों का मानना है कि चीन से तनाव लंबा चल सकता है, इसलिए स्पेशल टेंट्स की जरूरत पड़ेगी। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि चीन ने भी अपने सैनिकों को खास तरह के टेंट्स में शिफ्ट करना शुरू कर दिया है।
हॉवित्जर के लिए गोले भी खरीदे जाएंगे
भारतीय सेना अपनी बेहतरीन अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर तोप (एम-777) के लिए ज्यादा गोले खरीदेगी। यह तोप इतनी हल्की है कि जरूरत पड़ने पर इसे एक से दूसरी जगह आसानी से शिफ्ट किया जा सकता है।