राजस्थान के 15 लाख विद्यार्थी असमंजस में / बिना परीक्षा उच्छ शिक्षा के विद्यार्थियों को प्रमाेट करना चाहती है सरकार, यूजीसी का कहना फाइनल परीक्षाएं कराएं
जयपुर. राज्य सरकार की ओर से यूजी, पीजी और तकनीकी शिक्षा की परीक्षाएं रद्द किए जाने के बाद आई यूजीसी की गाइडलाइन से प्रदेश में उच्च शिक्षा के 15 लाख से अधिक विद्यार्थी असमंजस में हैं। राज्य सरकार ने बिना परीक्षा ही विद्यार्थियों को प्रमोट करने का निर्णय लिया था, लेकिन यूजीसी ने सितंबर तक फाइनल ईयर की परीक्षाएं कराने को कहा है। इसके बाद अब सरकार के सामने संकट खड़ा हो गया है कि वह क्या करे।
उच्च शिक्षा विभाग अब यूजीसी की गाइडलाइन का अध्ययन करेगा। इसके बाद मुख्यमंत्री स्तर पर ही परीक्षाओं को लेकर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। सत्र 2019-20 में हुए नामांकन के अनुसार प्रदेश में उच्च शिक्षा में करीब 15 लाख विद्यार्थी हैं। अकेले राजस्थान यूनिवर्सिटी में ही यूजी में रेगुलर और प्राइवेट बीकाॅम, बीएससी, बीए, पीजी सहित अन्य काेर्स में करीब 5 लाख छात्र हैं। इसके अलावा अन्य विश्वविद्यालय, तकनीकी शिक्षा, शिक्षक प्रशिक्षण, लाॅ काॅलेजाें और ओपन यूनिवर्सिटी के छात्र अलग से हैं।
क्या कहते हैं जिम्मेदार?
काेराेना काे देखते हुए परीक्षा नही कराने का निर्णय लिया था। लेकिन अब यूजीसी की गाइडलाइन का अध्ययन किया जाएगा। यूजीसी को भी स्थिति से अवगत कराएंगे। क्योंकि यह प्रदेश के विद्यार्थियों के स्वास्थ्य से जुड़ा मामला है। हालांकि, अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री स्तर पर ही लिया जाएगा।
भंवर सिंह भाटी, उच्च शिक्षामंत्री
- प्रदेश में उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों की डिग्री और स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। यूजीसी से परीक्षाओं को लेकर जो गाइडलाइन जारी की गई हैं, अभी उसकी समीक्षा की जा रही है।
शुचि शर्मा, सचिव, उच्च व तकनीकी शिक्षा
प्रमोट करने का फॉर्मूला क्या होगा? इस पर भी कन्फ्यूजन
राज्य सरकार ने सभी परीक्षाएं रद्द करके एमएचआरडी के दिशा-निर्देशों के अाधार पर प्रमाेट करने का फाॅर्मूला तैयार करने की बात कही थी। इस बारे में भी असमंजस है। जाेधपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्राे. पीसी त्रिवेदी का कहना है कि प्रमाेट करने की बात करें ताे वहां सेमेस्टर सिस्टम है, लेकिन प्रदेश में यूजी, पीजी में एनुअल सिस्टम है, जिससे मूल्यांकन साल में एक बार हाेता है।