हाईकोर्ट में राजस्थान की राजनीति:बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय के खिलाफ नोटिस पर सुनवाई आज, पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ वोट देने का व्हिप जारी किया
राजस्थान में सियासी संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। आज बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय के खिलाफ हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। बसपा का आरोप है कि स्पीकर के सामने दायर याचिका पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। भाजपा विधायक मदन दिलावर ने ये याचिका दायर की है। इसमें विधानसभा स्पीकर, सचिव समेत बसपा के 6 विधायकों को भी पक्षकार बनाया गया है।
वहीं, सोमवार सुबह बसपा के प्रदेशाध्यक्ष भगवान सिंह बाबा हाइकोर्ट पहुंचे। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि कांग्रेस का साथ देकर बसपा विधायकों ने पार्टी को धोखा दिया। माना जा रहा है कि बसपा भी अपने विधायकों के कांग्रेस के विलय के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है। उधर, इससे पहले रविवार देर रात बसपा ने व्हिप जारी किया। इसमें कहा कि किसी भी तरह के अविश्वास प्रस्ताव या वोटिंग में कांग्रेस के खिलाफ वोट दें।
स्पीकर ने कांग्रेस में जाने वाले बसपा विधायकों के खिलाफ नहीं की कार्रवाई
भाजपा विधायक दिलावर के वकील आशीष शर्मा ने बताया, ‘स्पीकर के यहां 4 महीने पहले 16 मार्च 2020 में बसपा एमएलए लखन सिंह (करौली), राजेन्द्र सिंह गुढ़ा (उदयपुरवाटी), दीपचंद खेड़िया (किशनगढ़ बास), जोगेन्दर सिंह अवाना (नदबई), संदीप कुमार (तिजारा) और वाजिब अली (नगर भरतपुर) के कांग्रेस में विलय के खिलाफ स्पीकर से शिकायत की थी। साथ ही आग्रह किया था कि वे इन 6 विधायकों को दलबदल कानून के तहत राजस्थान विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करें। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। 17 जुलाई को हमने रिमाइंडर लेटर भी दिया, स्पीकर ने बिना उन्हें सुने याचिका को निरस्त कर दिया। वहीं, पायलट गुट के खिलाफ याचिका पर तुरंत कार्रवाई कर दी गई।’
तब बसपा विधायकों ने कांग्रेस में शामिल होने पर क्या बयान दिया था
- दीपचंद खैरिया ने कहा था- कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने के बाद कहा कि मैं तो कांग्रेसी ही था, इसलिए इस पर मुझे कुछ खास नहीं कहना है।
- जोगिंदर अवाना के मुताबिक- मैंने 25 साल तक कांग्रेस और उसके अग्रिम संगठनों में काम किया है। वर्ष 2014 में कांग्रेस से अलग हुआ था अब दोबारा से कांग्रेस में आ गया हूं। बसपा से दुखी होकर अपने घर लौटा हूं। मुझे यकीन है कि अब खुद के विधानसभा क्षेत्र में और तेजी से विकास होगा।
- वाजिब अली बोले- विकास के लिए कांग्रेस में शामिल हुआ हूं। मेरे क्षेत्र के विकास के मुद्दों पर बसपा के साथ तालमेल नहीं बैठ पा रहा था।
- संदीप यादव ने कहा कि कांग्रेस को वैसे भी बाहर से समर्थन दे रहे थे अब अंदर रहने से खुद के क्षेत्र का विकास अच्छी तरह करा सकेंगे। वैसे भी हम कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे।
1998 में बसपा ने राजस्थान में खोला था अपना खाता
बसपा ने 1998 में पहली बार दो सीटें जीती। 1998 में जगत सिंह दायमा बानसूर से और माहिर आजाद नगर से विधायक बने। इसके बाद उसने 2003 में दो और 2008 के चुनाव में छह सीटें जीतीं। इसी तरह वर्ष 2013 में खेतड़ी, सार्दुलपुर और धौलपुर सीट पर बसपा के विधायक जीतकर आए।
2008 में नवलगढ़ से डा राजकुमार शर्मा, उदयपुरवाटी से राजेंद्र सिंह गुढ़ा, गंगापुर से रामकेश, सपोटरा से रमेश मीणा, दौसा से मुरारीलाल मीणा और बाड़ी से गिर्राज सिंह मलिंगा बसपा के टिकट पर जीतकर राजस्थान विधानसभा चुनाव जीते थे। तब कांग्रेस का संख्या बल 96 पर ही अटक गया था। उसे बहुमत के लिए पांच सीटों की जरूरत थी। बसपा उम्मीदवार कांग्रेस में शामिल हो गए। बसपा और गोलमादेवी के सहयोग से सरकार बनी।