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राजस्थान का सियासी :नंबर गणित में गहलोत अब भी पायलट पर भारी, सरकार को कोई खतरा नहीं, बसपा विधायकों की सदस्यता जाने पर भी बची रहेगी सरकार

बसपा के 6 विधायकों की सदस्यता पर संशय बरकरार है लेकिन गहलोत सरकार के पास जो नंबर है वह बहुमत से एक कदम आगे है। जाहिर है सरकार खतरे में नहीं है। सरकार का दावा है कि बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों की सदस्यता नहीं जाएगी। कोर्ट केवल विलय प्रक्रिया को गलत ठहरा सकता है। दूसरी ओर, पायलट गुट के पास अभी 3 निर्दलीय सहित 22 विधायक ही हैं। ये नंबर सरकार को खतरे में नहीं डालते। पायलट गुट के विधायक कह चुके हैं कि वे भाजपा में नहीं जाएंगे।

ऐसे में 14 अगस्त से शुरू होने वाले सत्र में अगर सरकार ने व्हिप जारी किया और उन्होंने खिलाफ में वोटिंग की तो सदस्यता जाएगी। ये हालात भी सरकार के पक्ष में ही जाते हैं। भाजपा व कांग्रेस, यहां तक कि जनता भी चुनाव और राष्ट्रपति शासन नहीं चाहती। यही कारण है कि तोड़-फोड़ भी अभी थमी हुई है। उधर, जैसलमेर में 102 नंबरों के साथ गहलोत मजबूत किले में हैं। इसमें सेंध नहीं लग पाना भी पायलट गुट के लिए तनाव का बड़ा कारण है।

गहलोत इसलिए भी आश्वस्त हैं कि माकपा भी अपने दो विधायकों को उनके पक्ष में व्हिप जारी करने वाली है। भाजपा के साथ दिख रहे बीटीपी के दो विधायक भी गहलोत को समर्थन दे चुके हैं। यही कारण है कि सरकार अब कह रही है कि उसके समर्थन वाले विधायकाें का आंकड़ा 102 से ऊपर ही बढ़ेगा।

28 दिन से पायलट चुप क्यों और भाजपा खुलकर साथ क्यों नहीं?
सचिन पायलट की चुप्पी की बड़ी वजह है कि हाईकोर्ट ने भले ही राहत दी है, लेकिन अभी सुप्रीम कोर्ट ने सदस्यता को लेकर कोई फैसला नहीं सुनाया है। उनका कुछ भी बोलना खिलाफ जा सकता है। दूसरा 30 विधायकों का दावा भी अभी दावा ही है। जो कांग्रेस के बागी 18 विधायक उनके साथ हैं वे भाजपा में जाना नहीं चाहते।

चर्चा है कि इन विधायकों को तीसरा मोर्चा बनाना था। ये पहले सरकार गिराते, फिर भाजपा व आरएलपी इनका समर्थन करते हुए चुनाव में इनके सामने उम्मीदवार नहीं उतारते, लेकिन वसुंधरा गुट इससे सहमत नहीं है। कैलाश मेघवाल जैसे विधायक तो खुलकर कह भी चुके कि किसी चुनी हुई सरकार को अस्थिर करना ठीक नहीं है।

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