राजस्थान में सियासी बाड़ेबंदी:होटल में ही बसपा के 6 विधायकों को दिए गए कोर्ट के नोटिस, आज जैसलमेर जा सकते हैं मुख्यमंत्री गहलोत
राजस्थान के सियासी घमासान के बीच शुक्रवार को जैसलमेर के सूर्यगढ़ होटल में ही बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए छह विधायकों को कोर्ट के नोटिस दिए गए। जैसलमेर कोर्ट के रीडर नोटिस तामील कराने होटल पहुंचे। इस दौरान एसपी भी मौजद रहे। 6 विधायकों को कोर्ट का नोटिस तामील कराने के मामले पर होटल में हलचल बढ़ गई है। वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी शुक्रवार शाम को जैसलमेर जाएंगे। वहीं, इस बीच महिला विधायक ममता भूपेश बाड़ेबंदी से बाहर आईं। उनके साथ जिला कलेक्टर आशीष मोदी और आईएएस केके पाठक भी मौजूद रहे। सभी एक स्टेडियम में पौधारोपण करने पहुंचे।
भाजपा के केंद्रीय राज्यमंत्री कैलाश चौधरी का सूर्यगढ़ होटल के पास कार्यक्रम
केंद्रीय राज्यमंत्री कैशाल चौधरी दो दिन से जैसलमेर के दौरे पर हैं। गुरुवार को वे जैसलमेर के फतेहगढ़ पहुंचे थे। वहीं, शुक्रवार को सूर्यगढ़ होटल के पास मूलसागर के दौरे पर रहे। इसे रुटीन कार्यक्रम बताया जा रहा है। इस दौरान एक सभा के दौरान कैलाश चौधरी ने कहा कि बाड़ेबंदी में विधायक परेशान हो रहे हैं। विधायकों का होटल के बाहर आने से रोका जा रहा है। होटल में हर विधायक पर सुरक्षा कर्मी तैनात कर जैमर लगा दिया गया है। राज्य में कोरोना फैल रहा, वहीं सरकार यहां पार्टी में मस्त।
बाड़ेबंदी में हैं ये 6 विधायक, इसलिए पहले दिए गए नोटिस तामील नहीं हुए
हाईकोर्ट की एकलपीठ ने कुछ दिन पहले दिलावर व बसपा की याचिका पर सुनवाई की थी। उस समय कोर्ट ने स्पीकर व विधानसभा सचिव सहित बसपा के 6 विधायकाें लखन सिंह, राजेन्द्रसिंह, दीपचंद, जोगेन्दर सिंह अवाना, संदीप कुमार व वाजिब अली से 11 अगस्त तक जवाब देने काे कहा था। दिलावर व बसपा ने अब खंडपीठ में कहा कि 14 अगस्त से विधानसभा सत्र है। इन 6 विधायकों के बाड़े में होने से नोटिस तामील नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में स्पीकर के आदेश पर अंतरिम रोक लगाई जानी चाहिए।
हाईकोर्ट का आदेश, बसपा के छह विधायकों पर 11 अगस्त को फैसला दे एकलपीठ
बसपा के 6 विधायकाें के 9 माह पहले कांग्रेस में हुए विलय मामले में गुरुवार काे हाईकाेर्ट की खंडपीठ ने अहम फैसला दिया। खंडपीठ ने विलय काे चुनाैती देने वाली भाजपा विधायक मदन दिलावर व बसपा की याचिका पर एकलपीठ से कहा है कि वह इन दाेनाें की ओर से दायर स्टे एप्लीकेशन पर कानूनी प्रावधानों के अनुसार और खंडपीठ के आदेशों से प्रभावित हुए बिना 11 अगस्त काे फैसला करे। सभी छह विधायकाें को 8 अगस्त से पहले स्पेशल मैसेंजर से नोटिस तामील कराएं। इसमें जैसलमेर के डीजे सहयोग करें और जरूरत हो तो वे जैसलमेर एसपी की मदद भी लें। नोटिसाें को प्रार्थी बाड़मेर व जैसलमेर के अखबाराें में प्रकाशित कराएं।
विशेषज्ञों से जानिए, क्या हो सकता है एकलपीठ का फैसला
अब निगाहें एकलपीठ के फैसले पर रहेंगी। विशेषज्ञों का कहना है कि संविधान के अनुसार विलय का फैसला सिर्फ स्पीकर कर सकता है, कोर्ट नहीं। ऐसे में कोर्ट परिवादी को वापस स्पीकर के पास ही भेज सकता है। दूसरी ओर, एकलपीठ अगर बसपा व दिलावर के पक्ष में फैसला दे और 6 विधायकों को अयोग्य ठहराए तो सरकार के पास बहुमत के मौजूदा 102 के आंकड़े में 96 विधायक रह जाएंगे। विधानसभा में भी कुल सदस्य संख्या 200 से घटकर 194 रह जाएगी। यानी 98 विधायक बहुमत के लिए चाहिए होंगे। हालांकि, एक बात यह भी है कि फैसला किसी भी पक्ष के खिलाफ आए वह इसे खंडपीठ में चुनौती जरूर देगा।