मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा- नई शिक्षा नीति का मध्यप्रदेश में होगा आदर्श क्रियान्वयन, स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यवस्थाएं की जाएंगी और अधिक मजबूत
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि जिस तरह मध्यप्रदेश ने बीते वर्षों में बिजली, पानी और कृषि के क्षेत्र में विकास के नए रिकार्ड बनाए हैं, उसी तरह अब स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में श्रेष्ठ उपलब्धियां प्राप्त करने के प्रयास होंगे। मुख्यमंत्री आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप निर्माण के लिए वेबिनार श्रृंखला के माध्यम से किए जा रहे मंथन के तीसरे दिन स्वास्थ्य और शिक्षा वेबिनार का शुभारंभ कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के निर्देशन में भारत की नई शिक्षा नीति के तीन प्रमुख उद्देश्यों ज्ञान-कौशल और संस्कार को प्राप्त करने के सोच से तैयार की गई है। मध्यप्रदेश इसका आदर्श तरीके से क्रियान्वयन करेगा। स्वास्थ्य क्षेत्र में भी आयुष्मान भारत योजना में नया सहारा दिया है। यह योजना मार्गदर्शक सिद्ध हो रही है। मध्यप्रदेश में दूरस्थ ग्रामीण अंचलों तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने का कार्य किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश में 600 करोड़ की लागत से सिंगापुर के सहयोग से ग्लोबल स्किल पार्क के विकास की योजना है। इसके क्रियान्वयन की गति बढ़ायी जाएगी।
केन्द्रीय मंत्री पोखरियाल ने की वेबिनार आयोजन की प्रशंसा
- केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लिए वेबिनार का आयोजन प्रशंसनीय है। विचार-विमर्श से महत्वपूर्ण सुझाव मिलते हैं। भारत की नई शिक्षा नीति के लिए करीब सवा दो लाख सुझाव प्राप्त हुए।
- नई शिक्षा नीति में 10+2 के फार्मेट स्थान पर 5+3+3+4 फार्मेट लागू होगा। स्वतंत्र भारत के बाद हुए सबसे बड़े नवाचार में अनेक शिक्षाविद् और कुलपति आदि ने परामर्श देने का कार्य किया। श्री निशंक ने भारत की नई शिक्षा नीति की विशेषताओं का विस्तार से उल्लेख किया।
- पोखरियाल ने बताया कि कक्षा छठवीं से विद्यार्थी व्यावसायिक शिक्षा से जुड़ जाएगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कोई बच्चा शिक्षा से नहीं छूटेगा। करीब ढाई करोड़ विद्यार्थी के ड्राप आउट को समाप्त करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि अब पहली से पांचवी कक्षा तक मातृभाषा का उपयोग किया जाएगा। विश्व के अनेक देशों में मातृभाषा को इस तरह का महत्व दिया गया है।
- भारत में पहली बार आठवीं अनुसूची में शामिल भारतीय भाषाओं को शिक्षा से जोड़ा गया है। विद्यार्थी स्वयं का मूल्यांकन करेगा। उसे रिपोर्ट कार्ड नहीं प्रोग्रेस कार्ड प्राप्त होगा। वोकेशनल विषयों को सुनने का विकल्प दिया गया है। विज्ञान के विद्यार्थी भी संगीत और मनोविज्ञान पढ़े सकेंगे।
- पाठ्यक्रम पूरा न हो पाने पर भी प्रमाण पत्र, डिप्लोमा और डिग्री शिक्षा प्राप्त करने की अवधि के अनुसार प्रदान की जाएगी। स्टडी इन इंडिया, स्टे इन इंडिया के तहत भारत के विद्यार्थियों को प्राप्त शिक्षा भारत के काम आए, यह प्रयास होंगे। अब पाठ्यक्रम नवाचार के साथ लागू होंगे।
- शोध की संभावनाओं को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार ने आवश्यक व्यवस्थाएं की हैं। केन्द्र सरकार ने मिड-डे मील पर 580 करोड़, केंद्रीय विद्यालयों को सक्षम बनाने पर 6495 करोड़, नवोदय विद्यालय की व्यवस्था करने के लिए 803 करोड़ रुपए की राशि दी है।
मुख्यमंत्री के संबोधन के प्रमुख बिन्दु
शिक्षा
- केंद्र सरकार द्वारा घोषित नई शिक्षा नीति का मध्यप्रदेश में आदर्श क्रियान्वयन करेंगे।
- मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि किताबी ज्ञान के साथ विद्यार्थियों को कौशल भी मिले यह लक्ष्य है।
- शिक्षा को विश्वस्तरीय बनाने पर ध्यान देंगे। नई शिक्षा नीति के आलोक में केन्द्रीय मंत्री श्री निशंक को आश्वस्त करता हूँ कि मध्यप्रदेश में प्रभावी क्रियान्वयन होगा।
- शिक्षा सर्व सुलभ हो, हर बच्चा स्कूल जाए लेकिन बच्चों पर बस्ते का बोझ न हो, उनका बोझ घटे, यह लक्ष्य है।
- नये स्कूल खोलने फैशन बढ़ गया है, नगण्य विद्यार्थी संख्या के बावजूद विद्यालय प्रारंभ करना उचित नहीं।
- कोरोना काल में ‘हमारा घर-हमारा विद्यालय’ के अंतर्गत बच्चों को घर बैठे सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से शिक्षा पहुँचाई गई।
- प्रधानमंत्री श्री मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप मध्यप्रदेश में विद्यार्थियों को कौशल ज्ञान भी दिया जाएगा।
- नैतिक शिक्षा पर भी हम पर्याप्त ध्यान देंगे। पूर्व में नैतिक शिक्षा पर जोर दिया जाता रहा है। इसे पुन: महत्व दिया जाएगा।
- ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यालय तक जाने के लिए सड़क हों, परिवहन साधन भी हों, पर्याप्त स्टाफ हो और लेबोरेटरी भी हों, इस पर ध्यान देंगे ।
- व्यवसायिक शिक्षा के अंर्तगत कक्षा छठवीं से बच्चों के हाथ में कौशल मिले, यह प्रयास होंगे।
- संगीत नृत्य और योग की शिक्षा देना भी प्राथमिकता होगी।
- यदि किसी विषय में विशेषज्ञता अर्जित करना तब ही पीजी कक्षा में प्रवेश लें विद्यार्थी। सिर्फ फैशन के लिए मास्टर डिग्री ज्वाइन न करें। आज प्रत्येक स्थान पर कॉलेज के लिए मांग आती है। लेकिन पाठ्यक्रम की उपयोगिता सिद्ध हो, विद्यार्थी इसे ध्यान में रखें।
- शिक्षकों के प्रशिक्षण पर भी ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है।
- तकनीकी शिक्षा और उच्च शिक्षा क्षेत्र में भी गुणवत्ता में सुधार के प्रयास होंगे।
- तकनीकी ज्ञान हासिल करने वाले बच्चे शत-प्रतिशत प्लेसमेंट का लाभ लें। सभी कार्यों के लिए प्रायः लोग नहीं मिलते दूसरी तरफ बेरोजगारी की बात सुनते हैं। हमें इस गैप को पाटना है ।
स्वास्थ्य –
- पहला सुख निरोगी काया है। स्वास्थ्य ही व्यक्ति को जीवन देता है।
- राज्य सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी व्यवस्थाएं बनायी हैं। शासकीय अस्पताल चिकित्सक विहीन न हों, इसके प्रयास किए गए। चिकित्सकों की कमी को दूर करने का कार्य हुआ है।
- जांच और उपचार की व्यवस्थाएं बढ़ाई गई हैं।
- कोरोना काल में अनेक स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर बनाने के गत चार माह में निरंतर प्रयास हुए हैं।
- एम्बूलेंस सेवाएं बेहतर बनाने का प्रयाय किया गया है। यह प्रयास जारी रहेंगे।
- स्वास्थ्य सूचकांकों के सुधार पर ध्यान दिया जाए। शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर में कमी आए।
- यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज का लक्ष्य हो।
- प्रदेश के शासकीय अस्पताल विशेष रुप से जिला अस्पताल पूर्ण सक्षम हों। रोगी को रेफर करने की जरूरत न हो।
- प्रदेश में 13 नए मेडिकल कॉलेज खोलने की पहल की गई। नये प्रारंभ मेडिकल कॉलेजों से जनता को सुविधा प्राप्त हुई है।
- डॉक्टर्स के साथ पैरामेडिकल स्टाफ की कमी दूर हो। यह भी पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। जांच की व्यवस्था साथ ही उपकरण को ऑपरेट करने के लिए ऑपरेटर भी हो, तभी स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का लक्ष्य पूरा होगा।
- एलोपैथी के साथ योग, प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेद और अन्य पद्धतियों का प्रयोग करने पर जोर दिया जा रहा है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य केन्द्रों की व्यवस्थाएं ज्यादा अच्छी हों। यह प्रयास रहेगा।
- जिला अस्पतालों और चिकित्सा महाविद्यालयों से जुड़े अस्पतालों में और बेहतर व्यवस्था का लक्ष्य है।