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इजराइल और यूएई के बीच ऐतिहासिक शांति समझौता; इजराइल की आजादी के 72 साल में किसी अरब देश से यह सिर्फ तीसरा करार

दुनिया के कई हिस्सों में बढ़ते तनाव के बीच इस साल पहली बार अमन बहाली के लिहाज से एक बड़ी खबर सामने आई। कट्टर दुश्मन माने जाने वाले इजराइल और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच गुरुवार को ऐतिहासिक शांति समझौता हुआ। दोनों देशों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने खुद ट्विटर पर इसकी जानकारी दी।

1948 में आजादी के बाद इजराइल का किसी अरब देश के साथ यह सिर्फ तीसरा समझौता है। इसके पहले वो जॉर्डन और मिस्र के साथ समझौते कर चुका है।

तनाव कम होना तय
यूएई औ इजराइल का समझौता हर लिहाज से कारगर साबित हो सकता है। फिलिस्तीन इसका विरोध कर रहा है, जबकि कई देश इस समझौते को लेकर हैरान हैं। इजराइल और यूएई के बीच कई साल से ‘बैक डोर डिप्लोमैसी’ चल रही थी। लेकिन, अब दोनों देशों ने सार्वजनिक तौर पर शांति समझौते का ऐलान किया है। इजराइल ने वेस्ट बैंक में बस्तियां बसाने या दूसरे शब्दों में कहें तो कब्जे का इरादा फिलहाल टाल दिया है। इससे खाड़ी देशों और इजराइल में तनाव कम होगा।

कई महीने की बातचीत जो गुप्त रखी गई
ट्रम्प कई महीनों से इस समझौते के लिए कोशिश कर रहे थे। हर तरह की बातचीत को बेहद गुप्त रखा गया। यही वजह है कि गुरुवार रात जब इसकी घोषणा हुई तो कई देश हैरान रह गए। वजह भी साफ है। इजराइल और अरब या खाड़ी देशों की दुश्मनी उतनी ही ऐतिहासिक है, जितना यह समझौता। ट्रम्प ने समझौते से ऐलान से पहले इसे पुख्ता तौर पर स्थापित करने के लिए फोन पर एक साथ नेतन्याहू और शेख जायेद से बातचीत की। अब इजराइल और यूएई एक-दूसरे के देशों में राजनयिक मिशन यानी एम्बेसी शुरू कर सकेंगे।

ट्रम्प ने एक तीर से दो निशाने साधे
इस समझौते का पहला और जाहिर तौर पर मकसद ईरान पर शिकंजा कसना है। ईरान शिया बहुल देश है। उसके अरब देशों और अमेरिका, दोनों से रिश्ते तनावपूर्ण हैं। इजराइल को भी वो कट्टर दुश्मन मानता है। ईरान एटमी ताकत हासिल करना चाहता है। अमेरिका, इजराइल और अरब देश उसे रोकना चाहते हैं। अब जबकि यूएई और इजराइल औपचारिक तौर पर करीब आ गए हैं तो अमेरिका को ज्यादा मजबूती मिलेगी। वो ईरान पर शिकंजा कस सकेगा। दूसरी तरफ, नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले ट्रम्प इसे अपनी जीत की तरह पेश करेंगे। समझौते के कामयाब होने में ज्यादा शक की गुंजाइश इसलिए नहीं है क्योंकि इजराइल और यूएई पिछले दरवाजे की कूटनीति के जरिए कई साल से संपर्क में थे।

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