भांडेर ने 41 साल बाद दोहराया था विधायक, 17 साल बाद फिर वही स्थिति, मुरैना में कोई लगातार दो बार नहीं बना विधायक
भांडेर विधानसभा क्षेत्र में 1962 से 2018 तक यानि 56 साल में कुल 13 विधानसभा चुनाव हो चुके है। इन 13 चुनाव में भांडेर के मतदाताओं ने 12 लोगों को अपना जनप्रतिनिधि चुना। 1962 से 1998 तक हुए 9 विधानसभा चुनाव में पार्टियों को ताे दोबारा अवसर दिया लेकिन चेहरे को नहीं। शायद यही वजह रही कि यहां से पार्टियां भी हर बार नया चेहरा मैदान में उतारती रहीं। 41 साल बाद 2003 के चुनाव में पहली बार मतदाताओं के सामने पूर्व विधायक को चुना था क्याेंकि सभी प्रमुख पार्टियों ने पूर्व विधायकों को मैदान में उतारा था।
इस चुनाव में 4 पूर्व विधायक मैदान में थे। इस बार उपचुनाव में भी ऐसी ही स्थिति बन रही है। इस बार तीन पूर्व विधायक मैदान में है। 2018 में कांग्रेस से चुनी गईं रक्षा सिरौनिया भाजपा से और 1998 में बसपा से चुने गए फूल सिंह बरैया कांग्रेस से। सेंवढ़ा से 3 बार विधायक सहित प्रदेश की पूर्व कांग्रेस सरकारों में गृह मंत्री रहे महेंद्र बौद्ध बसपा से मैदान में है। बौद्ध ने 2008 के चुनाव में यहां से भाग्य आजमाया था लेकिन हार मिली। अब यहां के मतदाता अपना इतिहास बरकरार रख पाते हैं या फिर तोड़ते हैं, यह 10 नवंबर को मतगणना के बाद तय होगा।
तब 4 पूर्व विधायक थे मैदान में
2003 के विस चुनाव में भांडेर से 4 पूर्व विधायक मैदान में थे। डॉ. कमलापत आर्य भाजपा से चुनाव जीते थे। डॉ. आर्य 1980 में कांग्रेस से विधायक रह चुके थे। कांग्रेस ने राधेश्याम चंदौरिया को प्रत्याशी बनाया था। वे 1985 में कांग्रेस से विधायक रहे। बसपा ने नंदलाल सिरौनिया को टिकट दिया। वे 1977 में जनता दल से विधायक रहे। फूल सिंह बरैया निर्दलीय लड़े। वे 1998 में बसपा से विधायक रह चुके हैं।
जौरा ने हमेशा बाहरी प्रत्याशी नकारा, मुरैना सीट से लगातार दूसरी बार में विधायक को मिली हार
मुरैना जिले की जौरा क्षेत्र की जनता ने कभी बाहरी प्रत्याशी को पसंद नहीं किया। वहीं मुरैना विधानसभा के मतदाताओं ने कभी किसी को लगातार 2 बार विधायक नहीं चुना। बाबू जबरसिंह, जाहर सिंह, सेवाराम गुप्ता, रुस्तम सिंह जैसे कई नाम हैं, जो 2 बार विधायक तो बने लेकिन लगातार नहीं बन सके।
जौरा सीट पर जब-जब विस क्षेत्र से बाहर रहने वाले व्यक्ति ने चुनाव लड़ा, उसे हार मिली। इनमें अंबाह के रामनिवास शर्मा (1967), भिंड के यशवंत कुशवाह (1985), बानमोर के कालीचरण कुशवाह (1980, 1985, 1998), जाहर सिंह शर्मा मुरैना (1993), नागेंद्र तिवारी मुरैना (2008) शामिल हैं। वहीं मुरैना विस सीट पर जनता ने किसी भी राजनेता को लगातार 2 बार चुनाव नहीं जिताया। 1957 से 2018 तक पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह, स्व. जाहर सिंह शर्मा, बाबू जबरसिंह, सेवाराम गुप्ता, महाराज सिंह मावई दो-दो बार चुनाव जीते, लेकिन लगातार नहीं। जनता ने एक बार इन सभी को जिताया फिर दूसरी बार नकार दिया।