राजस्थान विधानसभा:त्रिवेदी के निधन से सदन में एमएलए का आंकड़ा फिर 199 पर अटक गया, विधानसभा के नए भवन में ऐसा कम ही हुआ कि 200 विधायक एक साथ बैठे हों
सहाड़ा विधायक कैलाश त्रिवेदी के सोमवार देर रात निधन से विधानसभा में विधायकों की संख्या एक बार फिर से 199 पर आ पहुंची है। वर्ष 2001 में नया विधानसभा भवन बनने के बाद आज तक 10 विधायकों की कार्यकाल के बीच में मृत्यु हो चुकी है। इनमें किशन मोटवानी, जगत सिंह दायमा, भीखाभाई, भीमसेन चौधरी, रामसिंह बिश्नोई, अरुण सिंह, नाथूराम आहारी, कीर्ति कुमारी, कल्याण सिंह चौहान और कैलाश त्रिवेदी के नाम हैं।
नया विधानसभा भवन बनने के बाद से अब तक ऐसा बहुत कम ही हुआ है कि विधानसभा में एक साथ 200 विधायक बैठ पाए हों। या तो बीच कार्यकाल में किसी विधायक की मृत्यु हो गई या किसी अपराध में विधायक के जेल जाने से सदस्य संख्या कम हो गई। बताया जाता है कि इस विधानसभा भवन के निर्माण में मोक्षधाम की जमीन ली गई। पिछली विधानसभा में तो तत्कालीन भाजपा विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने विधानसभा भवन अप शकुनी तक बता दिया था।
2008 से 2013 तक 4 विधायक जेल गए
2008 से 2013 के दौरान चार विधायक जेल गए। जिसके चलते सदन में विधायकों की संख्या कम हुई। इनमें 2011 में मंत्री रहते हुए महिपाल मदेरणा और विधायक मलखान बिश्नोई भंवरी देवी हत्या प्रकरण में जेल चले गए तो दारिया एनकाउंटर मामले में भाजपा विधायक राजेंद्र राठौड़ और दुष्कर्म मामले में 2013 में कांग्रेस के तत्कालीन मंत्री बाबूलाल नागर को जेल जाना पड़ा।
मौजूदा 15वीं विधानसभा का सत्र भी 199 विधायकों से शुरू करना पड़ा था क्योंकि रामगढ़ में बसपा प्रत्याशी का निधन हो गया था। इसके बाद यहां उपचुनाव हुए और विधायक पूरे 200 हो गए। इस बीच लोकसभा चुनाव हुए और मंडावा से नरेंद्र खींचड़ तथा खींवसर से हनुमान बेनीवाल ने विधायकी छोड़ सांसद बन गए।
मंडावा से रीटा चौधरी और खींवसर से नारायण बेनीवाल के शपथ लेते ही सदन में 200 का आंकड़ा फिर पूरा हो गया। इससे पहले 14वीं विधानसभा में मांडलगढ़ विधायक कीर्ति कुमारी व नाथद्वारा विधायक कल्याण सिंह का भी बीच कार्यकाल में निधन हो गया था। जब भी बीच कार्यकाल में किसी विधायक का निधन हो जाता है तो लोग के बीच विधानसभा भवन के शकुन व अपशकुन को लेकर चर्चाएं भी फिर से शुरू हो जाती है।