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यूएई और बहरीन के बाद अब इजराइल और सऊदी में शांति समझौता कराने की कोशिश में जुटा अमेरिका; ईरान पर दबाव बनाने की रणनीति

अमेरिका खाड़ी देशों और इजराइल के बीच अमन बहाली की कोशिशों के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। यूएई और बहरीन के बाद अब सऊदी अरब भी इजराइल के साथ शांति समझौता कर सकता है। अमेरिका इसमें मध्यस्थता कर रहा है। सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल इन दिनों अमेरिका के दौरे पर हैं। बुधवार रात उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो से मुलाकात की। इसके बाद दोनों नेता मीडिया से रूबरू हुए।

पोम्पियो की सीधी बात
अमेरिका और सऊदी के बीच इजराइल को लेकर बातचीत चल रही है। इस मसले को पोम्पियो ने साफ तौर पर माना। कहा- हम चाहते हैं कि यूएई और बहरीन की तरह सऊदी अरब भी इजराइल के साथ कूटनीतिक रिश्ते कायम करे। हमें पूरी उम्मीद है कि सऊदी सरकार इस बारे में गंभीरता से विचार कर रही है। हम यह उम्मीद भी करते हैं कि सऊदी अरब फिलिस्तीनी नेताओं को इजराइल से बातचीत के लिए तैयार करेगा।

ट्रम्प की कोशिश
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प खाड़ी देशों और इजराइल के बीच कूटनीतिक रिश्ते कायम कराने की कोशिशों में जुटे हैं। यूएई, बहरीन और कतर ऐसा कर चुके हैं। लेकिन, सऊदी अरब के बिना यह कोशिश अधूरी है। ट्रम्प इसे अब्राहम अकॉर्ड कहते हैं। इसका मकसद मध्य-पूर्व यानी मिडल ईस्ट में अमन बहाली है। इजराइल ने भी अपना रुख नर्म किया है। यूएई से समझौते के बाद इजराइल की नेतन्याहू सरकार ने वेस्ट बैंक में यहूदी को बसाने का मिशन कुछ वक्त के लिए टाल दिया।

ईरान पर दबाव बनाने की रणनीति
एक तरफ चीन है जो ईरान को अपने पाले में करने की कोशिश कर रहा है। ईरान यमन के विद्रोहियों की मदद कर रहा है। ये सऊदी अरब की सीमा से लगे इलाकों में हमले कर रहे हैं। अब अमेरिका इजराइल और सऊदी अरब को साथ लाकर ईरान पर दबाव बनाना चाहता है। उसने परमाणु हथियार कार्यक्रम को लेकर ईरान पर नए प्रतिबंध भी लगाए हैं। दूसरी तरफ, सऊदी अरब से नया हथियार समझौता भी करने जा रहा है। इजराइल और सऊदी अरब के बीच समझौता होता है तो ईरान के साथ ही चीन पर भी दबाव बढ़ेगा।

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