कैबिनेट मंत्री भंवरलाल का चूरू के सुजानगढ़ में आज होगा अंतिम संस्कार, यहां से वे 5 बार विधायक रहे हैं

राजस्थान में गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल का आज अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनका अंतिम संस्कार चूरू जिले के सुजानगढ़ में किया जाएगा। दोपहर बाद भंवरलाल के सुजानगढ़ स्थित आवास से उनकी अंतिम यात्रा निकाली जाएगी। यह शहर के बाजारों से होते हुए श्मशान घाट पहुंचेगी। मंत्री के निधन पर सुजानगढ़ बंद रहा। प्रदेश में एक दिन का राजकीय अवकाश रखा गया है। मेघवाल के अंतिम संस्कार में कई मंत्रियों के सुजानगढ़ पहुंचने की खबर है।
72 साल के मेघवाल का सोमवार को गुड़गांव के मेदांता में निधन हो गया था। उनकी कई महीनों से तबीयत खराब थी। मेघवाल राजस्थान कांग्रेस के दिग्गज दलित नेताओं में शामिल थे। वे पिछले करीब 41 साल से राजनीति में सक्रिय थे। सुजानगढ़ विधानसभा सीट से निर्दलीय समेत कांग्रेस की टिकट पर वह 5 बार (1980, 90, 98, 2008 और 2018) विधायक चुने गए।
13 मई की रात को बिगड़ी थी भंवरलाल की तबियत
जयपुर में 13 मई की रात को मास्टर भंवरलाल मेघवाल अपने आवास पर थे। इस दौरान वे चक्कर खाकर गिर पड़े। उनकी बेटी व अन्य परिजन उन्हें साकेत अस्पताल ले गए। वहां चेकअप के बाद भंवरलाल को एसएमएस अस्पताल के लिए रैफर कर दिया गया। तब बताया गया था कि ब्रेन हेमरेज होने से शरीर के दाहिने हिस्से में पैरालिसिस अटैक हुआ था। कुछ दिनों बाद एयर एंबुलेंस से मेघवाल को मेदांता अस्पताल भेजा गया था।
परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी; एक बेटी का 29 अक्टूबर को हुआ निधन
सुजानगढ़ के शोभासर ग्राम पंचायत के गांव बाघसर पूर्वी में चुनाराम मेघवाल के यहां 2 जुलाई 1948 को मास्टर भंवरलाल मेघवाल का जन्म हुआ। वर्तमान में परिवार सुजानगढ़ उपखंड मुख्यालय के पीछे स्थित जयनिवास में रहता है। भंवरलाल मेघवाल की शादी 15 मई 1965 को केसर देवी से हुई। इनके एक बेटा व दो बेटी हैं। एक बेटी बनारसी देवी भी राजनीति में सक्रिय थीं। चूरू की जिला प्रमुख भी रही थीं। उनका 29 अक्टूबर को निधन हो गया था। जबकि भंवरलाल के इकलौते बेटे मनोज व्यवसाय करते हैं।
सरकारी स्कूल में पीटीआई थे, मास्टर की नौकरी छोड़कर पहला चुनाव लड़ा
भंवरलाल मेघवाल पहले सरकारी टीचर हुआ करते थे। सुजानगढ़ के राजकीय झंवर स्कूल में बतौर शारीरिक शिक्षक (पीटीआई) नौकरी की शुरुआत की। काफी सालों तक टीचर रहे। इसीलिए इनकी पहचान मास्टर भंवरलाल के नाम से भी थी। वर्ष 1977 में शिक्षक की नौकरी से इस्तीफा देकर भंवरलाल मेघवाल ने इसी साल विधानसभा चुनाव में भाग्य आजमाया। पहली बार में वे हार गए।
फिर 1980 के चुनाव में बतौर निर्दलीय जीत दर्ज की। उसके बाद से हर बार राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ते आ रहे हैं। आपको बता दें कि मास्टर भंवरलाल मेघवाल के साथ राजनीति में एक अजब संयोग जुड़ा हुआ था। वो यह है कि वे एक विधानसभा चुनाव हारते थे और इसके बाद अगला जीतते थे।
बयानों के कारण चर्चित रहे मेघवाल, पिछली गहलोत सरकार में शिक्षा मंत्री पद छोड़ना पड़ा
भंवरलाल मेघवाल ने 10 बार चुनाव लड़ा। इनमें वे पांच चुनाव जीते और पांच चुनाव हार गए। पिछली बार अशोक गहलोत की सरकार में कर्मचारियों व तबादलों पर राजनीतिक बयानों की वजह से चर्चित रहे भंवरलाल मेघवाल शिक्षा मंत्री पद का पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके थे। उन्हें पद छोड़ना पड़ा था