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तेजस्वी का नीतीश कुमार पर हमला, गोडसे को पूजने वाले लोग पटना पधारे हैं, उनके स्वागत में सीएम ने गांधी मूर्ति को किया कैद

पटना | नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक बार फिर से बिहार की नीतीश सरकार पर जमकर हमला बोला है। शनिवार को किए गए ट्वीट में तेजस्वी ने कहा है कि गोडसे को पूजने वाले लोग पटना पधारे हैं। उनके स्वागत में अनुकंपाई मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना के गांधी मैदान में गांधी मूर्ति को क़ैद कर लिया, ताकि गांधी को मानने वाले लोग किसानों के समर्थन में गांधी जी के समक्ष संकल्प ना ले सके। नीतीश जी, वहां पहुंच रहा हूं। रोक सको तो रोक लीजिए।

बता दें कि तेजस्वी ने केंद्र के नए कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए आंदोलन का ऐलान किया है। तेजस्वी की अगुवाई में महागठबंधन के नेता गांधी मैदान में गांधी प्रतिमा के समक्ष धरना देने वाले थे लेकिन प्रशासन की ओर से इसकी अनुमति नहीं मिली। इसके बाद गांधी मैदान के गेट नंबर चार पर ही तेजस्वी के नेतृत्व में कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए।

तेजस्वी ने आरोप जड़ा कि केंद्र के किसान और मजदूर विरोधी फैसलों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी सहभागी हैं। केंद्र सरकार आज जो बातचीत कर रही है, वह कानून बनाने से पहले होनी चाहिए थी। उन्होंने राज्य के सभी किसानों और संगठनों से बिल के खिलाफ सड़कों पर उतरने की अपील की। नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार कृषि क्षेत्र को भी प्राइवेट कंपनियों को देने की साजिश रच दी है।

जिनके राज में 17 हजार अपहरण व 641 हत्याएं हुईं, उनको आ रही गांधी की याद: सुशील मोदी
भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने राजद नेताओं पर तंज कसा है। कहा है कि राजद के 15 साल के राज में दलितों के सामूहिक नरसंहार, फिरौती के लिए 17000 लोगों का अपहरण और पंचायत से संसद तक के लिए हुए कुल नौ चुनावों में 641 हत्याएं हुई। उस समय उन्हें गांधीजी के सिद्धांत की याद नहीं आयी। अब वे गांधी को याद कर रहे हैं।

ट्वीट कर पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि लालू- राबड़ी राज में  गांधी ही नहीं, जेपी, लोहिया, कर्पूरी ठाकुर तक अनेक महापुरुषों के आदर्शों को रौंद कर सम्पत्ति बनायी गई। वंशवादी राजनीति को मजबूत किया गया। जिनके मन में गांधीजी की प्रतिमा के सामने धरना देने का विचार आ रहा है, वे सत्ता में रहते हुए गांधी को बहुत पहले भूल चुके हैं। गांधीवाद से उन्हें यदि सचमुच कोई लगाव होता तो माओ-लेनिन के हिंसक सिद्धातों में भरोसा रखने वाले वामदलों से गठबंधन नहीं करते।

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