नीदरलैंड्स में संकट:धोखाधड़ी का आरोप लगाकर हजारों बच्चों का हक छीना, घोटाला पता लगा तो सरकार को इस्तीफा देना पड़ा
नीदरलैंड्स दुनिया के सबसे ईमानदार देशों में से एक है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के करप्शन पर्सेप्शन इंडेक्स (CPI) में बीते साल नीदरलैंड्स सबसे कम करप्शन वाले देशों में टॉप-10 में रखा गया। शुक्रवार को भ्रष्टाचार के कारण ही डच राजनीति में अस्थिरता आ गई है।
एक सरकारी घोटाले में हजारों परिवारों पर धोखाधड़ी का झूठा आरोप लगाते हुए उनसे बच्चों के लिए मिलने वाली सब्सिडी वापस ले ली गई। हकीकत सामने आने पर प्रधानमंत्री मार्क रूट की सरकार को इस्तीफा देना पड़ा। रूट 17 मार्च तक सरकार संभालेंगे। उन्होंने देश के सम्राट विलियम अलेक्जेंडर को घोटाले की जानकारी देते हुए वादा किया कि सरकार जल्द भरपाई करेगी।
एथनिक समुदाय के लोगों पर आरोप लगा था
संसदीय जांच में पाया गया कि साल 2012 से ही घोटाला चल रहा था। इस दौरान लगभग 26 हजार अभिभावकों पर गलत तरीके से बच्चों के लिए सब्सिडी लेने का आरोप लगा। इसमें भी करीब 10 हजार परिवारों पर झूठा आरोप लगाकर सब्सिडी में मिली हजारों यूरो की रकम सरकार को लौटाने पर मजबूर किया गया।
सब्सिडी वापस करने से कुछ परिवार दिवालिया हो गए, तो कई में तलाक तक की नौबत आ गई। परिवारों से पैसे वापस लेने के लिए छोटी-मोटी प्रशासनिक भूलों को निशाना बनाया गया। जैसे अगर कागजात पर कहीं दस्तखत नहीं दिखा या कोई और खामी हो तो तुरंत परिवार को झूठा बता दिया गया।
झूठा आरोप लगाकर पैसे लौटाने को मजबूर किए गए ये लोग एथनिक माइनोरिटी से थे। पैसे लौटाने को मजबूर किए गए 20 परिवारों ने कई मंत्रियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की। परिवारों ने मंत्रियों पर आर्थिक घोटाले, सरकार की कमजोरी जैसे आरोप लगाए।
लालच दिया, पर नहीं बच सकी सरकार
नीदरलैंड्स में सरकार परिवारों को बच्चों के भरण-पोषण के लिए एक तय भत्ता देती है। इससे अभिभावकों पर बच्चों के लालन-पालन का खर्च 80% तक घट जाता है। कोर्ट में जमा किए गए कागजों में नीदरलैंड्स के हेल्थ और फाइनेंस मिनिस्टर के नाम भी शामिल हैं। घोटाला सामने आया तो सरकार ने आनन-फानन हर उस परिवार के लिए कम से कम 30,000 यूरो देने का ऐलान कर दिया। हालांकि, इससे घोटाला दब नहीं सका।