Fri. Nov 1st, 2024

हुंडई-किआ एक-दूसरे के साथ शेयर करते हैं कई कंपोनेंट, फिर भी तगड़े कॉम्पीटिटर; जानें क्या है वजह

भारत के कार मार्केट में सबसे तेज ग्रोथ एसयूवी सेगमेंट में है। कमोबेश हर कंपनी इस सेगमेंट में है, लेकिन हुंडई और किआ सब पर हावी हैं। दोनों साउथ कोरियाई कंपनियों में कड़ा कंपटीशन है। लेकिन आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि किआ और हुंडई न सिर्फ टेक्नोलॉजी शेयर करती हैं, बल्कि इनके प्लेटफॉर्म, इंजन और गियरबॉक्स भी एक ही होते हैं। ऐसे में यह गफलत हो सकती है कि क्या ये दोनों एक ही कंपनियां हैं, जो अलग-अलग नाम से भारत में बिजनेस कर रही हैं? हकीकत क्या है, आइए जानते हैं…

क्या किआ और हुंडई एक ही कंपनी है?

कंपनियां तो अलग हैं, लेकिन दोनों की एक दूसरे में हिस्सेदारी है। एक समय किआ मोटर्स में हुंडई की हिस्सेदारी 51% थी, लेकिन अब यह 34% है। दूसरी ओर, हुंडई मोटर्स की लगभग 22 सब्सिडरी में किआ की 5-45 फीसदी तक हिस्सेदारी है।

किआ की स्थापना 1944 में हुई थी, जबकि हुंडई 1967 में बनी। तब दोनों कंपनियां अलग थीं। किआ ने साइकिल बनाने के साथ कारोबार की शुरुआत की, इसके बाद मोटरसाइकिल और ट्रक मैन्युफैक्चरिंग में भी हाथ आजमाया। 1980 में किआ ने फोर्ड के साथ पार्टनरशिप की और 1986 में प्राइड कार का प्रोडक्शन शुरू किया। 1988 में एशिया में आए वित्तीय संकट के बाद किआ ने खुद को दिवालिया घोषित करने के लिए आवेदन दिया, तब फोर्ड ने अपनी हिस्सेदारी हुंडई को बेची दी।

हुंडई-किआ में क्या अलग, क्या एक जैसा

  • वाहन: वैश्विक स्तर पर किआ का पोर्टफोलिया हुंडई से काफी बड़ा है। किआ 18 मॉडल बेचती है। इसमें सेडान, मिनीवैन, एसयूवी, इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहन शामिल हैं। दूसरी ओर हुंडई के पास इन्हीं सेगमेंट में 13 मॉडल हैं।
  • तकनीक: किआ की गाड़ियों में UVO तकनीक होती है। यह एक इंफोटेनमेंट और टेलीमेटिक्स सिस्टम है, जो कार की लोकेशन फोन पर भेजने और फोन को ब्लूटूथ से कनेक्ट करने समेत कई तरह के काम करता है। हुंडई के पास भी ऐसा ही सिस्टम है, जिसे कंपनी हुंडई ब्लू लिंक टेक्नोलॉजी कहती है।
  • एक्सटीरियर: लुक्स के मामले में किआ और हुंडई की कारों में काफी अंतर है। किआ में स्पोर्टियर डिजाइन मिलता है तो हुंडई का डिजाइन स्मूद और फ्लोइंग शेप वाला है।
  • सेफ्टी फीचर्स: दोनों की कारों में एडवांस सेफ्टी फीचर्स हैं। इनमें टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम, ट्रैक्शन कंट्रोल सिस्टम, फ्रंट एंड रियर क्रंपल जोन और ब्रेक असिस्ट सिस्टम जैसे फीचर्स शामिल हैं।
  • क्या शेयर करती हैं: दोनों कंपनियों की एक-दूसरे में हिस्सेदारी है। इसलिए खर्च कम करने के लिए दोनों आपस में प्लेटफॉर्म, इंजन, गियरबॉक्स और कुछ टेक्नोलॉजी शेयर करती हैं। ठीक वैसे ही जैसे फॉक्सवैगन ग्रुप की स्कोडा, फॉक्सवैगन, ऑडी, पोर्शे, बेंटले और लेम्बोर्गिनी आपस में कंपोनेंट शेयर करती हैं।

भारत में साल 2015 में कुल पैसेंजर व्हीकल सेल्स में एसयूवी कि हिस्सेदारी सिर्फ 13.5 फीसदी थी। लेकिन 2019 में यह 26 फीसदी और 2020 में 29 फीसदी हो गई। एसयूवी की मांग का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले साल महामारी और लॉकडाउन के बावजूद सबसे कम गिरावट एसयूवी में रही।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *