Mon. Apr 28th, 2025

90 शहरी निकायों में बोर्ड बनाने के लिए अभी से जोड़तोड़ की कवायद, कांग्रेस-बीजेपी ने कई जगहों पर वोटिंग होते ही बाड़ेबंदी शुरू की

90 शहरी निकाय चुनावों में पार्षद के पद के लिए वोटिंग हो चुकी है, नतीजे 31 को आएंगे लेकिन सियासी जेाड़तोड़ अभी से ही शुरू हो गई है। जिन निकायों में कांग्रेस-बीेजेपी के बीच कांटे की टक्कर है वहां वोटिंग होते ही पार्षद उम्मीदवारों की बाड़ेबंदी भी शुरू कर दी है। अब 7 फरवरी को निकाय प्रमुख के चुनाव तक कई निकायों के पार्षदों की बाड़ेबंदी रहेगी।

कांग्रेस और बीेजपी ने अभी से जीतने की संभावना वाले बागी उम्मीदवारों की मान मनोव्वल शुरू कर दी है , कई जगह बोर्ड बनाने में बागी होकर लड़े निर्दलीय अहम भूमिका निभांएगे। दोनों ही पार्टियों ने 300 से ज्यादा वार्ड मेें खुद के उम्मीदवार नहीं उतारे, ऐसे वार्ड्‌स में कांग्रेस-बीजेपी के मजबूत बागी चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि हर बार स्ट्रैटजी के तहत ही कुछ वार्ड खाली छाेड़े जाते हैं, जीतने वाला कांग्रेस का ही कार्यकर्ता होगा।

कांग्रेस सत्ताधारी पार्टी होने की वजह से शहरी निकाय चुनाव में उसकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। कांग्रेस के सामने इन चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव है। कांग्रेस ने जिले के संगठन प्रभारियों, पर्यवेक्षकों और प्रभारी मंत्रियों को निकायों में कांग्रेस का बोर्ड बनाने की जिम्मेदारी दी है। उधर, बीजेपी ने भी हर निकायों में स्थानीय नेताओं को जिम्मेदारी दे रखी है। स्थानीय स्तर के नेता भी बोर्ड बनाने जोर आजमाइश में जुटे हुए हैं। इन नेताओं को लगता है कि चुनाव में मेहनत करके वे अपनी जगह बना सकते हैं।

पिछले महीने हुए 50 शहरी निकाय चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा था। इन 90 निकायों के चुनाव परिणाम सरकार के 2 साल के कामकाज पर जनता की मुहर के तौर पर देखे जाएंगे। आम तौर पर शहरी निकाय चुनाव सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में ही जाते हैं लेकिन कई बार उल्टा भी हो जाता है। कांग्रेस पंचायतीराज चुनाव में सत्ता में होने के बावजूद अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *