ट्रैक्टर परेड में भड़की हिंसा पर सुनवाई आज, टिकैत बोले-40 लाख ट्रैक्टरों की रैली निकालेंगे
नई दिल्ली । तीन कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच टकराव बढ़ते जा रहा है। इस बीच 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर मार्च के दौरान लाल किले पर भड़की हिंसा के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। इस बीच किसान संगठनों ने साफ कर दिया है कि किसान कानून वापसी से कम पर किसी भी चीज पर नहीं मानेंगे। चाहे आंदेलन कितना भी लंबा क्यों न चले। किसान नेता राकेश टिकैत ने साफ कहा कि आंदोलन अक्टूबर तक चलेगा और सरकार से बात नहीं बनी तो फिर किसान संगठन देशभर में 40 लाख ट्रैक्टरों की रैली निकालेंगे।
सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई
26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा। एक याचिका में जांच के लिए शीर्ष कोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में आयोग बनाने का अनुरोध किया गया है। गौरतलब है कि 3 कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर 26 जनवरी को हजारों की संख्या में कृषि कानून विरोधियों ने ट्रैक्टर रैली निकाली थी। इस दौरान दिल्ली की सड़कों पर हिंसा भड़क गई थी और कई जगह प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के बैरिकेड्स तोड़ दिए थे। वाहनों में तोड़ फोड़ की और लाल किले पर एक धार्मिक ध्वज फहरा दिया। इस मामले में आज चीफ जस्टिस एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की पीठ सुनवाई करेगी।
गिरफ्तार किसानों को रिहा करने की मांग
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि जब तक सरकार व पुलिस प्रशासन किसाना का उत्पीड़न बंद नहीं करेगी और गिरफ्तार किए गए किसानों को रिहा नहीं करेगी, तब तक सरकार से कोई बात नहीं होगी। गौरतलब है कि दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत कई अन्य जगहों के किसान कानूनों के विरोध में पिछले दो महीनों से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे हैं।
किसान संगठनों की मांग है कि इन कानूनों को वापस लेने के अलावा MSP पर कानून बनाया जाए। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सर्वदलीय बैठक में कहा था कि कृषि कानूनों का क्रियान्वयन डेढ़ साल के लिए स्थगित करने का सरकार का प्रस्ताव बरकार है। एक फोन कॉल पर केंद्रीय मंत्री किसान संगठनों से बैठक का समय व स्थान तय कर देंगे।
सरकार व किसान संगठनों के बीच अंतिम बैठक गत 22 जनवरी को हुई थी, जिसमें सरकार की ओर से नए कानूनों को 18 माह के लिए रोक लगाने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अब तक अड़ियल रवैया अपनाए हुए हैं।