पूर्व स्पीकर मेघवाल बोले- विस में वरिष्ठ विधायकों की हो रही उपेक्षा, नड्डा और पूनिया को लिखी चिट्ठी पर मैंने भी हस्ताक्षर किए
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे समर्थक विधायकों ने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया खेमे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राजे समर्थक विधायकों ने विधानसभा की कार्यवाही में बोलने का अवसर देने में भेदभाव करने का खुलकर मुदृदा उठाया है।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश मेघवाल ने कहा- कुछ पुराने, अनुभवी और वरिष्ठ विधायकों की भावना थी कि विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने में उनकी उपेक्षा की जा रही है। उसी उपेक्षा के कारण उन्होंने प्रदेशाध्यक्ष का ध्यान आकर्षित करने के लिए एक पत्र लिखा, जिस पर मैंने भी हस्ताक्षर किए।
मेघवाल ने कहा- विधायक फील कर रहे थे कि उन्हें विधानसभा की कार्यवाही में जो महत्व मिलना चाहिए था वह नहीं मिल रहा है। विधायकों में ऐसी भावना फैल रही है, जो कि खत्म होनी चाहिए। सबको विधानसभा में समान अवसर देना चाहिए। क्योंकि अवसर देने का अधिकार नेता प्रतिपक्ष और और मुख्य सचेतक का होता है।
बजट सत्र में भाजपा विधायक दल में दो फाड़
कैलाश मेघवाल सहित 20 राजे समर्थकों ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और वसुंधरा राजे को चिट्ठी लिखकर उनके साथ विधानसभा में भेदभाव का मुदृदा उठाया है। भाजपा में यह विवाद ऐसे वक्त उठा है जब विधानसभा का बजट सत्र शुरू ही हुआ है।
इस विवाद का सीधा असर अब विधानसभा में भाजपा के फ्लोर मैनेजमेंट पर दिखना तय है, क्योंकि सरकार को घेरने की बजाय भाजपा विधायक ही खेमों में बंटे दिख रहे हैं। दिल्ली में राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक के दिन ही चिट्ठी विवाद सामने आना भी कई तरह के सियासी सवालों को उठाता है।
पूनिया के अलावा गुलाबचंद कटारिया भी निशाने पर
चिट्ठी विवाद में कैलाश मेघवाल ने नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को भी निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा- विधानसभा में बोलने का मौका देने का काम नेता प्रतिपक्ष और मुख्य सचेतक का होता है। पार्टी में मुख्य सचेतक अभी बनाया ही नहीं है। ऐसे में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर कटारिया ही निशाने पर हैं।
8 को वसुंधरा की धार्मिक यात्रा, उससे पहले विरोधी खेमे के खिलाफ मोर्चा
राजनीतिक जानकार भाजपा के अंदरूनी विवाद के और गहराने की संभावना जता रहे हैं। उनका मानना है कि राजे समर्थक विधायकों का चिट्ठी लिखना भी एक रणनीति का हिस्सा है। इसके तहत पहले विवाद खड़ा करके प्रदेशाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की भूमिका पर सवाल उठाना तो है ही। साथ ही, यह मैसेज देना भी है कि विधायक अब भी राजे के साथ हैं। वसुंधरा 8 मार्च को अपने जन्मदिन पर भरतपुर जिले से धार्मिक यात्रा कर रही हैं। इस धार्मिक यात्रा को भी शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है। इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं।