तख्तापलट से अमेरिका नाराज:म्यांमार पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की तैयारी, सेना के कंट्रोल वाली दो कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर सकता है USA
म्यांमार में सैन्य तख्तापलट और बर्बर कार्रवाई से अमेरिका नाराज है। जल्दी ही अमेरिका म्यांमार सेना की तरफ से नियंत्रित की जा रही दो कंपनियों पर प्रतिबंध लगा सकता है। सूत्रों के हवाले से रायटर्स ने बुधवार को बताया कि जल्दी ही अमेरिका ट्रेजरी म्यांमार इकोनॉमिक कॉर्पोरेशन (MEC) और म्यांमार इकोनॉमिक होल्डिंग्स लिमिटेड (MEHL) को ब्लैकलिस्ट कर सकता है। साथ अमेरिका में उनकी संपत्तियों को भी फ्रीज कर सकता है। इससे पहले अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपियन यूनियन और कनाडा म्यांमार सेना के जनरलों पर प्रतिबंध लगा चुके हैं।
फरवरी में हुआ था तख्तापलट
इससे पहले म्यांमार की सेना ने फरवरी के शुरुआत में तख्तापलट कर दिया था। साथ ही नोबेल प्राइज विजेता और पूर्व प्रधानमंत्री आंग सान सूकी को गिरफ्तार कर लिया था। आंग सान सूकी की पार्टी नवंबर 2020 में चुनाव जीती थी। इस पर सेना ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया था। हालांकि, इलेक्शन ऑब्सर्बर ने इस तरह की किसी भी तरह की धांधली को नकारा था।
अब तक 275 प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है
वहीं, सेना की दमन नीति के खिलाफ पूरे देश में सड़कों पर प्रदर्शन हो रहे हैं। इसमें अब तक 275 लोगों की मौत हो चुकी है। इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 11 फरवरी को एक आदेश जारी किया था। इसके तहत म्यांमार सेना पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए थे। अब अमेरिका म्यांमार की सेना के व्यापारिक हित पर भी रोक लगा सकता है।
म्यांमार की इकोनॉमी पर सेना का कंट्रोल
म्यांमार की अर्थव्यवस्था पर सेना का नियंत्रण है। इसमें शराब, सिगरेट से लेकर टेलीकॉम, रियल स्टेट, माइनिंग भी शामिल है। वहीं, एक्टिविस्ट की मांग है कि सेना को होने वाले रेवेन्यू पर चोट पहुंचाना जरूरी है। इसमें ऑयल और गैस के बड़े प्रोजेक्ट शामिल हैं। इससे म्यांमार की सेना को बड़ा फायदा होता है। वहीं, व्हाइट हाउस राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने ट्रेजरी डिपार्टमेंट से पूछताछ की है। हालांकि अभी इसको लेकर कोई जवाब नहीं दिया गया है।
सेना ने 628 प्रदर्शनकारियों को रिहा किया
तख्तापलट के विरोध प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किए 628 प्रदर्शनकारियों को सेना ने रिहा कर दिया है। इन सभी को पिछले महीने सेना ने पकड़कर जेल में डाल दिया था। रिहा किए प्रदर्शनकारियों में अधिकतर युवा है। रिहा होने के बाद प्रदर्शनकारियों ने तीन उंगलियां भी दिखाई जो सेना के विरोध का प्रतीक बन चुका है।
तख्तापलट क्यों?
दरअसल, पिछले साल नवंबर में म्यांमार में आम चुनाव हुए थे। इनमें आंग सान सू की पार्टी ने दोनों सदनों में 396 सीटें जीती थीं। उनकी पार्टी ने लोअर हाउस की 330 में से 258 और अपर हाउस की 168 में से 138 सीटें जीतीं। म्यांमार की मुख्य विपक्षी पार्टी यूनियन सॉलिडैरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी ने दोनों सदनों में मात्र 33 सीटें ही जीतीं। इस पार्टी को सेना का समर्थन हासिल था। इस पार्टी के नेता थान हिते हैं, जो सेना में ब्रिगेडियर जनरल रह चुके हैं।
नतीजे आने के बाद वहां की सेना ने इस पर सवाल खड़े कर दिए। सेना ने चुनाव में सू की की पार्टी पर धांधली करने का आरोप लगाया। इसे लेकर सेना ने सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति और चुनाव आयोग की शिकायत भी की। चुनाव नतीजों के बाद से ही लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार और वहां की सेना के बीच मतभेद शुरू हो गया। अब म्यांमार की सत्ता पूरी तरह से सेना के हाथ में आ गई है। तख्तापलट के बाद वहां सेना ने 1 साल के लिए इमरजेंसी का भी ऐलान कर दिया है।