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कोरोना के कारण एक बार फिर लौट रहे मजदूर, महाराष्ट्र से सबसे ज्यादा पलायन

नई दिल्ली । देश में कोरोना की दूसरी लहर बड़ी तेजी के साथ बढ़ रही है इस महामारी के कारण एक बार फिर हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। कोरोना के नए केस ने पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। आलम ये है कि तकरीबन हर रोज एक लाख से ज्यादा नए मरीज सामने आ रहे हैं। देश के चार राज्यों में एक दिन में सबसे ज्यादा नए केस आए। इनमें महाराष्ट्र, दिल्ली, यूपी और मध्यप्रदेश  शामिल हैं। महाराष्ट्र में हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने लॉकडाउन लगाने तक के संकेत दिए हैं।

महाराष्ट्र के मुंबई, पुणे व अन्य शहरों से मजदूर ट्रेनों से वापसी कर रहे हैं। सोमवार को भी ट्रेनों में इनकी काफी संख्या में भीड़ रही। उप्र के बांदा जिले के शंभूनाथ ने कहा, महाराष्ट्र में लॉकडाउन के बाद ही वहां से निकल आए। काम बंद है और हमारे पास पैसे भी खत्म हो गए। मुंबई से बिहार के सासाराम जा रहे श्रमिक संजू यादव ने बताया महाराष्ट्र में निर्माण कार्य भी बंद हैं, इसलिए लौटना प़़ड रहा है।

रेलवे स्टेशनों पर मजदूरों की भीड़
मुंबई के रेलवे स्टेशन पर बड़ी संख्या में मजदूरों की भीड़ है, जो यूपी-बिहार वापसी की राह देख रहे हैं। सिर्फ मुंबई ही नहीं, बल्कि पुणे, नासिक, नागपुर से भी ऐसी ही खबरें आ रही हैं. जानकारी के मुताबिक, धारावी से ही करीब 25 हजार मजदूर वापसी कर चुके हैं. यूपी, बिहार और झारखंड से काफी लोग रोजगार की तलाश में महाराष्ट्र जाते हैं। लेकिन एक बार फिर से लॉकडाउन के संकेत मिलने के बाद प्रवासी मजदूर वापस अपने गांव की ओर लौट चले हैं। वापसी करने वाले मजदूरों की संख्या भी काफी ज्यादा है। बीते कुछ दिनों में मुंबई से इन राज्यों में बड़ी संख्या में मजदूर ट्रेनों में भरकर वापस लौटे हैं। और ये सिलसिला अभी भी जारी है।

मुंबई में 20 दिन से काम बंद, मजबूरी में लौटना पड़ा
मप्र सीमा से 16 किमी दूर एबी रोड पर महाराष्ट्र के गांव हाड़ाखेड़ में दोपहर में जीप में उप्र के 20 मजदूर ठसाठस बैठे मिले। इनमें से संत कबीर नगर निवासी शाद अंसारी और सलीम भाई ने बताया, मुंबई में एक कंपनी में एसी फिटिंग का काम करते हैं। 12 हजार रुपये मासिक मिलता है। मुंबई में कोरोना का प्रकोप बढ़ने से 20 दिन से काम बंद हो गया। ऐसे में मकान किराया देने सहित खाने-पीने की दिक्कतें होने लगी। वहां परेशान होने के बजाय घर लौटना ही ठीक समझा।

 

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