शैलपुत्री का पूजन कर मंदिरों व घरों में भक्ताें ने की घट स्थापना
ग्वालियर। शक्ति की आराधना का पर्व चैत्र नवरात्रि आज से आरंभ हाे गया है। प्रथम दिन मां शैलपुत्री की आराधना की गई। मंदिरों के साथ घर-घर में घट स्थापना हुई। आचार्य हेमंत शास्त्री ने बताया कि कष्टों को हरने वाली मां दुर्गा की प्रत्येक दिन मां भगवती के नौ स्वरुपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। बैल पर सवाल मां शैलपुत्री की पूजा प्रथम दिन की जाती है। माता दाहिने हाथ में त्रिशूल धारण कर शत्रुओं का नाश करती हैं। अपने कष्टों को दूर करने के लिए नौ दिन तक भक्त आराधना में डूबे रहेंगे। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त मंगलवार को सुबह 6 बजकर 21 मिनट से 10 बजकर 16 मिनट तक था। वहीं अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 14 मिनट से दोपहर एक बजकर चार मिनट तक रहेगा। नवरात्रि में मां भगवती का व्रत रखने व प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का विशेष महत्व है। ऐसा करने से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है। नवरात्रि के प्रथम दिन लाेगाें ने घराें में अखंड ज्योत जलाई, जो नौ दिन तक जलती रहेगी।देवी पुराण के अनुसार मां भगवती की पूजा-अर्चना करते समय सर्वप्रथम कलश व घट की स्थापना करें। धर्मशास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। कलश के मुख में विष्णुजी का निवास, कंठ में रुद्र, मूल में ब्रह्मा स्थित हैं और कलश के मध्य में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं।