फिर लौटी घर वापसी की त्रासदी:मुंबई से बड़े पैमाने पर मजदूरों का पलायन जारी, लॉकडाउन के डर से दिल्ली से भी जा रहे लोग
कोरोना की वजह से पिछले साल हुए आजादी के बाद के सबसे बड़े पलायन के घाव अभी भरे नहीं थे कि एक बार फिर बड़े शहरों से पलायन की त्रासद तस्वीरें आने लगी हैं। कंधों पर जिंदगी का बोझ लिए डरे हुए बेबस लोग घर वापसी के लिए निकल पड़े हैं।
मुंबई हो या दिल्ली, रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर भीड़ लगी है। रोज कमाने-खाने वालों के लिए कोरोना की बजाए लॉकडाउन रूह कंपाने वाला शब्द बन गया है। जिंदगी की जद्दोजहद में एक तरफ पेट तो दूसरी तरफ संक्रमण के डर के बीच लोग जल्दी से जल्दी घर पहुंचना चाहते हैं।
मुंबई: पिछली बार की तरह लॉकडाउन का डर
रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर मजदूरों की भारी भीड़ उमड़ रही है। लोगों को पिछली बार की तरह लॉकडाउन का डर है। मजदूर समय रहते गांव पहुंचना चाहते हैं। मुंबई से सटे ठाणे, नवी मुंबई और पालघर जिले के बोइसर से मजदूरों के पलायन के अलावा पुणे के चाकण इंडस्ट्रियल क्षेत्र से भी मजदूर बड़े पैमाने पर अपने-अपने गांव की ओर रवाना हो रहे हैं।
दिल्ली: बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन पर मजदूरों के जत्थे
दिल्ली में पिछले कई दिनों से मजदूरों का गांव लौटने का सिलसिला जारी है। चाहे बस स्टैंड हो या रेलवे स्टेशन मजदूर बड़ी संख्या में अपने-अपने घरों की और लौट रहे हैं। दिल्ली एनसीआर के कई हिस्सों में मजदूरों के जत्थे पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। गुरुग्राम में भी बस स्टैंड पर बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों का पलायन देखने को मिल रहा है।
नागपुर: कुछ कंपनियां बंद, कुछ ने की छंटनी
संक्रमण के कारण लोगों में लॉकडाउन का डर है। उद्योगिक क्षेत्र मिहान, बूटीबोरी, हिंगना एमआईडीसी, उप्पलवाड़ी में 2500 कंपनियां हैं, इनमें करीब 40% लोग दूसरे राज्यों के हैं। अधिकांश गांव वापस जा रहे हैं। गांव वापसी के लिए लोग बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर पहुंच रहे हैं। किसी की कंपनी बंद हो गई है, किसी को निकाल दिया गया है।
सूरत: पिछला दर्द अब तक नहीं भूले मजदूर
कुछ दिनों से सूरत से मजदूरों का पलायन जारी है, लोगों में लॉकडाउन का दर इस कदर हावी हो गया है कि लोग दोगुना बस किराया तक दे रहे हैं। अब तक 45 हजार से ज्यादा लोग पलायन कर चुके हैं, हालांकि मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि लाॅकडाउन नहीं लगेगा, फिर भी लोग दहशत में हैं। कहते हैं- हम उस दर्द से दोबारा गुजरना नहीं चाहते जिसे हमने पिछले लॉकडाउन के दौरान सहन किया था।