हड़ताली कर्मचारियों को बर्खास्त करने पर सीएम तीरथ से पूछा सवाल, क्या अफसर भी होंगे सस्पेंड
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के हड़ताल करने पर कर्मचारियों को बर्खास्त करने संबंधी निर्देश पर उत्तरांचल फेडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई। पदाधिकारियों ने कहा कि बेहतर होता कि सीएम उन अफसरों को भी बर्खास्त करने के निर्देश देते जो कर्मचारियों की जायज मांगों पर निर्णय होने के बाद भी लंबे समय तक जीओ जारी नहीं करते। उन्हीं के कारण मजबूरी में कर्मचारियों को आंदोलन करना पड़ता है। एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष सुनील दत्त कोठारी ने कहा कि शासन ने मिनिस्टीरियल कार्मिकों की जायज मांगों पर निर्णय लेकर भी लंबे समय से शासनादेश जारी नहीं किए। इसके बाद कर्मचारियों को आंदोलन करना पड़ा।
यदि शासन समय रहते मांगों का समाधान करता तो आंदोलन की नौबत ही नहीं आती। एसोसिएशन के प्रांतीय महामंत्री पूर्णानंद नौटियाल ने कहा कि हाईकोर्ट शासन को पूर्व में कार्मिकों की जायज मांगों पर हर तीसरे माह बैठक कर समाधान के निर्देश दे चुका है। इसके बावजूद सकारात्मक कार्यवाही नहीं हुई। उल्टा मिनिस्टीरियल कार्मिकों से, उनको पूर्व में 10,16, व 26 वर्ष की सेवा पर दिए एसीपी की वसूली के आदेश कर उत्पीड़न शुरू कर दिया गया। एसोसिएशन ने सीएम को याद दिलाया की गतवर्ष कोरोना काल में कार्मिकों ने अपना एक दिन का वेतन स्वेच्छा से देते हुए सरकार को हरसंभव सहयोग दिया। उसी प्रकार वर्तमान में भी कार्मिक प्रदेश के हित में पूर्ण योगदान देने को तैयार हैं बशर्ते सरकार भी कार्मिकों की न्यायोचित मांगों पर शीघ्र समाधान करने हेतु शासन के अफसरों को निर्देशित करे।
मुखर: बर्खास्त होने को भी तैयार हैं कर्मचारी
एसोसिएशन ने कहा कि मिनिस्टीरियल कार्मिक बाध्य होने की दशा में अब भी लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करेंगे। अब इसके लिए चाहे सरकार पूरे प्रदेश के मिनिस्टीरियल कार्मिकों को बर्खास्त ही क्यों न कर दे। एसोसिएशन ने कहा कि एसीपी की वसूली के अन्यायपूर्ण आदेश के कारण वर्तमान में सेवानिवृत्त हो रहे सैकड़ों कार्मिक की पेंशन के प्रकरण, पेंशन निदेशालय में लंबित हैं। इससे उन्हें आर्थिक एवं मानसिक संकट से गुजरना पड़ रहा है। यदि शासन द्वारा मिनिस्टीरियल कार्मिकों की वसूली के नियम विरुद्ध आदेश को शीघ्र रोका नहीं जाता है।
जिन मांगों पर शासन द्वारा पूर्व में निर्णय लिया जा चुका है, उनका शासनादेश जारी नहीं किया गया तो कोरोना महामारी के नियंत्रण में आते ही प्रदेशभर में मिनिस्टीरियल कार्मिक बेमियादी हड़ताल पर जाने के लिए विवश होंगे। इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह जिम्मेदार अधिकारियों की होगी। पदाधिकारियों ने कहा कि वर्तमान में मिनिस्टीरियल कार्मिक अपना चरणबद्ध आंदोलन जारी रखेंगे। इस क्रम में प्रदेशभर में मंत्री और जनप्रतिनिधियों को 11 सूत्रीय मांगपत्र सौंपकर शासन द्वारा उनका समाधान कराने को दबाव बनाया जाएगा।