भटवाड़ी से आराकोट तक ओलावृष्टि का कहर
उत्तरकाशी : सीमांत जनपद उत्तरकाशी में शनिवार और रविवार का दिन काश्तकारों के लिए मुसीबत भरा रहा है। दोनों दिन उत्तरकाशी के भटवाड़ी से लेकर आरकोट बंगाड़ तक भारी ओलावृष्टि हुई।
ओलावृष्टि से सबसे अधिक नुकसान सेब, नाशपाती, खुमानी, आडू, चुल्लु की बागवानी करने वाले काश्तकारों को हुआ है। कोरोना संक्रमण के बीच ओलावृष्टि की मार झेलने वाले काश्तकार उद्यान विभाग और प्रशासन से क्षति का आकलन कर मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं, जिससे काश्तकारों को दवा और खाद पर खर्च हुई धनराशि तो मिल सके।
नौगांव विकास खंड के भाटिया, तुनाल्का, धारी, कलोगी, हिमरोल, कफनोल, ठोलियूका, गैर, दारसों में पहले शनिवार और फिर रविवार को भारी ओलावृष्टि हुई, जिससे सबसे अधिक नुकसान बागवानी को हुआ है। इसके अलावा गेहूं, आलू, टमाटर, खीरा, मटर और मसूर की फसल को भी क्षति पहुंची है। ग्राम प्रधान भाटिया राकेश कुमार ने कहा कि कोरोना महामारी के बीच काश्तकारों की मेहनत पर ओलावृष्टि ने पानी फेर दिया है।
वहीं मोरी क्षेत्र में रविवार की शाम ओलावृष्टि ने कहर मचाया। आराकोट से लेकर मोंडा बलावट तक के सेब के बगीचों को भारी नुकसान पहुंचा है। यहां किसानों की फसल बुरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। ओलावृष्टि होने के कारण किरोली, लुहासु व धारखेत, मोंडा, बलावट, भुटाणू सहित फत्ते पर्वत क्षेत्र कई गांवों में सेब, आडू, नाशपाति के बगीचों को भारी नुकसान हुआ है। सबसे अधिक नुकसान सेब की फसल को हुआ है। ओलावृष्टि इतनी अधिक थी कि पत्ते, फूल आदि सब टूट कर गिर गए हैं। काश्तकार मनमोहन चौहान, राजेंद्र चौहान, किशोर सिंह राणा सहित आदि ग्रामीणों में उपजिलाधिकारी पुरोला के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा, जिसमें काश्तकारों ने कहा कि ओलावृष्टि से सेब की फसल तो बर्बाद हुई, लेकिन सेब के पौधों को भी भारी नुकसान हुआ है। पौधे में आगामी दो-तीन साल तक फसल लगना नामुमकिन है। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि बारिश और ओलावृष्टि से हुए नुकसान का आकलन किया जाए तथा प्रभावित काश्तकारों को आजीविका चलाने के लिए मुआवजा दिया जाए।