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कोरोना के कैशलेस इलाज से मना नहीं कर सकेंगे हॉस्पिटल; मना किया तो क्या करें आप, एक्सपर्ट से जानिए जवाब

नई दिल्ली

कोरोना की टेंशन के बीच आपके लिए राहत की खबर आई है। कोरोना होने पर आप किसी भी हॉस्पिटल में कैशलेस इलाज करवा सकते हैं। बशर्ते आपके पास हेल्थ इंश्योरेंस होना चाहिए और वह हॉस्पिटल आपकी बीमा कंपनी से लिंक्ड हो।

कैशलेस यानी बिना पैसे दिए कोरोना का इलाज करवाया जा सकता है। ये आदेश इंश्योरेंस रेगुलेटर इरडा (IRDAI) ने दिया है। आदेश के मुताबिक, कोई नेटवर्क हॉस्पिटल अगर ऐसा नहीं करता है तो हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों पर कार्रवाई होगी।

इरडा ने यह भी साफ किया कि इंश्योरेंस कंपनियों का जिन अस्पतालों के साथ कैशलेस का करार है, उन्हें कोविड के साथ दूसरी बीमारियों का इलाज भी करना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं होता है, तो इंश्योरेंस कंपनियों को ऐसे अस्पतालों से बिजनेस एग्रीमेंट खत्म करना चाहिए।

लेकिन इरडा को ऐसा फैसला सुनाने की नौबत क्यों आई? आपके हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े कई अनसुलझे सवाल होंगे…उन्हीं सवालों के जवाब जानने के लिए हमने 4 एक्सपर्ट्स से बात की…

हॉस्पिटल कैशलेस फैसिलिटी क्यों नहीं दे रहे?
ऑनलाइन इंश्योरेंस सॉल्यूशन फर्म ‘बेशक’ के फाउंडर और एक्सपर्ट महावीर चोपड़ा कहते हैं कि आमतौर पर हॉस्पिटल अपना कैश मैनेज करने के लिए ऐसा करते हैं, क्योंकि मरीजों को कैशलेस फैसिलिटी देने के बदले इंश्योरेंस कंपनियों से मिलने वाला पैसा उन्हें अगले 10-15 दिनों में मिलता है। ऐसे में हॉस्पिटल्स मरीज से ही इलाज का पैसा वसूलते हैं और उन्हें रिएंबर्समेंट कराने की सलाह दे देते हैं।

कैशलेस इलाज न हो और इंश्योरेंस कंपनियां शिकायत न सुनें तो क्या करें?
मुंबई के बीमा लोकपाल यानी इंश्योरेंस ओम्बड्समैन मिलिंद खरत कहते हैं कि अगर हॉस्पिटल ने ग्राहकों को कैशलेस इलाज की सुविधा नहीं दी, तो सबसे पहले ग्राहक को अपनी इंश्योरेंस कंपनी के ग्रीवांस रिट्रेशनल ऑफिसर (GRO) के पास शिकायत दर्ज करनी होगी।

अगर 15 दिन के भीतर संतुष्ट जवाब नहीं मिलता, तो आप ओम्बड्समैन के पास अपनी शिकायत लेकर जा सकते हैं। खास बात यह है कि यहां सुनवाई के दौरान वकील की जरूरत नहीं, बल्कि खुद ग्राहक या उसका रिश्तेदार उपस्थित हो सकता है और बीमा कंपनी की ओर से भी अधिकारी आएगा।

बीमा लोकपाल के फैसले से इंश्योरेंस कंपनी इनकार नहीं कर सकती है। लेकिन अगर ग्राहक फैसले से असंतुष्ट है तो वह कंज्यूमर कोर्ट भी जा सकता है। भारत के 17 शहरों में इंश्योरेंस ओम्बड्समैन हैं। केवल महाराष्ट्र राज्य ऐसा है जहां मुंबई और पुणे दो शहरों में इंश्योरेंस ओम्बड्समैन हैं।

वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी 22 अप्रैल को इरडा के चेयरमैन एस सी खुंटिया से कहा था कि इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा कैशलेस सुविधा न देने वाली शिकायतों पर सख्त एक्शन लें।

क्या कैशलेस क्लेम के अलावा ग्राहक के पास कोई अन्य उपाय है?
फाइनेंशियल और टैक्स सॉल्यूशन कंपनी फिंटू के फाउंडर और CA मनीष हिंगर के मुताबिक ग्राहकों के पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं। पॉलिसी की तहत ग्राहक को इलाज का पूरा पेमेंट किया जाता है। लेकिन कैशलेस सुविधा नहीं मिलने पर इलाज का खर्च ग्राहक को भरना होगा। बाद में इससे जुड़े सभी वाजिब डॉक्यूमेंट्स इंश्योरेंस कंपनी के पास जमा करने होंगे। उन्हीं डॉक्यूमेंट्स को इंश्योरेंस कंपनी क्रॉस चेक करती है, फिर पॉलिसी के तहत इलाज में खर्च रकम को ग्राहक के बैंक खाते में भेज देती है।

तो सही हेल्थ इंश्योरेंस का चुनाव कैसे करें?
ऑप्टिमा मनी मैनेजर के CEO और फाउंडर पंकज मठपाल के मुताबिक लोगों को सही हेल्थ इंश्योरेंस लेने के लिए इन बातों पर ध्यान देना चाहिए-

  • पॉलिसी लेते समय अपनी हेल्थ यानी स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी बिल्कुल न छिपाएं।
  • इंश्योरेंस कंपनी की ओर से मिलने वाले नेटवर्क हॉस्पिटल आपके आस-पास हैं या नहीं इस पर भी ध्यान दें।
  • पॉलिसी में सब लिमिट पर ध्यान देना चाहिए। इसके तहत इंश्योरेंस कंपनियां डॉक्टर फीस, ICU चार्जेज सहित रूम रेंट पर लिमिटेड पैसे ही देते हैं। यानी अलग-अलग लिमिट लगी होती है।
  • पॉलिसी में को-पे का भी ध्यान रखना चाहिए। इसके तहत कुल खर्च का कुछ हिस्सा ग्राहक और कुछ इंश्योरेंस कंपनी को पेमेंट करना होता है।

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