इस हफ्ते 3 क्रिकेटर्स ने परिवार के सदस्यों को खोया, ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट एमके कौशिक भी नहीं रहे

कोरोना की दूसरी लहर ने देश और दुनिया में हाहाकार मचा दिया है। खेल जगत भी इससे अछूता नहीं रहा। खिलाड़ियों के परिवार पर भी कोरोना काल बनकर टूटा है। अब तक कई क्रिकेटर और अन्य खिलाड़ी अपने परिवार और करीबियों को खो चुके हैं। इस एक हफ्ते में पीयूष चावला और चेतन सकारिया ने अपने-अपने पिता को खोया है। ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट एमके कौशिक भी नहीं रहे।
वहीं, महिला क्रिकेटर वेदा कृष्णमूर्ति ने भी अपनी बहन को खो दिया है। यदि पिछले एक साल की बात करें तो कोरोना से पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान (73) का भी अगस्त में निधन हुआ था। सचिन तेंदुलकर भी अपने बेस्ट फ्रेंड विजय शिरके को खो चुके हैं। 57 साल के शिरके ने 20 दिसंबर को अंतिम सांस ली थी।
महिला क्रिकेटर वेदा के परिवार पर कोरोना की दोहरी मार पड़ी है। उनकी 45 साल की बहन वत्सला का कोरोना से बुधवार को निधन हो गया। इससे दो हफ्ते पहले ही कोरोना की वजह से वेदा की मां चेलुवम्बा देवी का निधन हुआ। मां के निधन की जानकारी उन्होंने 24 अप्रैल को सोशल मीडिया के जरिए दी थी।
अब तक 48 वनडे और 76 टी-20 खेल चुकीं वेदा
ऑलराउंडर वेदा ने अब तक 48 वनडे में 25.90 की औसत से 829 रन बनाए और 66 विकेट लिए हैं। उन्होंने 76 टी-20 इंटरनेशनल खेले, जिसमें 18.61 की औसत से 875 रन बनाए हैं। इस दौरान उन्होंने 12 विकेट भी चटकाए हैं। वेदा ने पिछला मैच मार्च 2020 में वुमन्स टी-20 वर्ल्ड कप का फाइनल खेला था। मेलबर्न में खेले गए फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 85 रन से शिकस्त दी थी।
IPL 2021 की खोज माने जा रहे राजस्थान रॉयल्स के तेज गेंदबाज चेतन सकारिया के पिता कांजीभाई का रविवार को निधन हो गया। वे कोरोना से जूझ रहे थे। पिछले हफ्ते उन्हें इलाज के लिए गुजरात के भावनगर में एक अस्पताल में एडमिट कराया गया था। IPL सस्पेंड होने के बाद सकारिया उनसे मिलने भी पहुंचे थे। इसके साथ ही उन्होंने IPL से मिली सैलरी को भी पिता के इलाज में लगा दिया था।
चेतन के पिता ऑटो ड्राइवर थे
चेतन के पिता ऑटो ड्राइवर थे। कुछ महीने पहले ही उनके भाई ने आत्महत्या कर ली थी। चेतन की कमाई का जरिया IPL से मिलने वाली राशि है। चेतन को 2021 के लिए हुए IPLऑक्शन में राजस्थान रॉयल्स ने 1.20 करोड़ रुपए में खरीदा था।
गोल्ड मेडल जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य थे। यह हॉकी में भारत का 8वां और आखिरी गोल्ड मेडल है।
2002 में अपनी कोचिंग में भारत को एशियाड चैम्पियन बनाया
कौशिक भारत के सफल हॉकी कोच में से एक माने जाते थे। वे देश की पुरुष और महिला दोनों टीमों के कोच रह चुके हैं। उनकी कोचिंग में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 1998 में बैंकॉक में एशियन गेम्स का गोल्ड मेडल भी जीता था। इसके अलावा वे 2006 दोहा एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम के कोच भी थे। कौशिक को 1998 में अर्जुन अवॉर्ड और 2002 में द्रोणाचार्य अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था।