डॉक्टर्स बोले- अब तुम्हे पिता को भगवान ही बचा सकते, बेटे में जागी आस्था, पिता के स्वास्थ्य की कामना को लेकर अचलेश्वर महादेव की दंडवत परिक्रमा लगा रहा पुत्र
भिंड शहर का एक व्यापारी इन दिनों ग्वालियर के एक हॉस्पिटल में कोविड से लड़ाई लड़ रहा है। व्यापारी को वायरस के संक्रमण ने बुरी तरह से जकड़ रखा है। पीड़ित की हालत में सुधार होता न देखकर डॉक्टरों ने भी हाथ खड़े करना शुरू कर दिए। मरीज के बेटे से डॉक्टर ने कहा कि अब तुम्हारे पिता को कोरोना से भगवान ही बचा सकते हैं। यह बात सुनकर व्यापारी के बेटे में भगवान महादेव के प्रति आस्था जाग गई। वो एक रिश्तेदार के साथ मिलकर ग्वालियर के प्रसिद्ध अचलेश्वर महादेव की दंडवत परिक्रमा लगाने लगा है।
कोविड संक्रमण से बचाव को लेकर लोग, इन दिनों तरह तरह के जतन कर रहे हैं। चतुर्वेदी नगर निवासी रामकुमार (51) पुत्र दशरथ शर्मा मूलत: लहार के पास अचलपुरा गांव के रहने वाले है। रामकुमार, पेशे से हार्डवेयर व्यापारी है। करीब पंद्रह दिन पहले वाे सर्दी, जुखाम, खांसी से पीड़ित हुए। जब कोविड जांच कराई तो वाे पॉजिटिव आए, उनका बेटे शिवम ने पिता को उपचार के लिए ग्वालियर लेकर पहुंचा। यहां जनक हॉस्पिटल में ऑक्सीजन का पलंग खाली मिला तो तत्काल भर्ती करा दिया।
इसके बाद पिता के उपचार पर शिवम दिन-रात मेहनत कर रहा है। अब तक पिता के स्वास्थ्य को लेकर लाखों रुपए खर्च कर चुका है। इतना हीं नहीं रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत होने के बाद महंगे दामों में खरीद कर लगवाए। डॉक्टरों ने जितनी फीस मांगी उतनी देता रहा। हर संभव प्रयास किया इसके बाद भी पिता की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा है।
डॉक्टरों ने किए हाथ खड़े
तीन रोज पहले डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिया। हॉस्पिटल के डॉक्टर वेंटिलेटर से ऑक्सीजन दे रहे हैं। डॉक्टर ने जवाब देते हुए कह दिया कि अब मेरे हाथ में कुछ नहीं है। शरीर में संक्रमण बहुत फैल चुका है। फेफड़े काम सही ढंग से नहीं कर रहे हैं। पिता की यह हालत सुनकर बेटे शिवम ने पूछा कि अब मैं क्या करूं? तभी डाॅक्टर ने कहा कि भगवान ही बचा सकते है।
यह सुनकर बेटा शिवम व उनका एक रिश्तेदार ने जनक हॉस्पिटल से अचलेश्वर महादेव मंदिर तक करीब तीन किलोमीटर दंडवत परिक्रमा शुरू की। वे पिछले तीन दिन से हर रोज परिक्रमा कर रहे है। अब शिवम, अचलेश्वर महादेव की शरण में है। शिवम का कहना है कि भगवान अचलेश्वर महादेव ही मेरे पिता की रक्षा कर सकते हैं। यह अचलनाथ, मेरी आखिरी आस है।