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एबी और बी ब्लड ग्रुप के लोगों को संभलकर रहने की जरूरत

नई दिल्ली।  एबी और बी ब्लड ग्रुप के लोगों को कोविड-19 से ज्यादा संभलकर रहने की जरूरत है। काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंटस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) ने एक रिसर्च पेपर प्रकाशित किया है, इसमें दावा किया गया है कि बाकी ब्लड ग्रुप्स की तुलना में एबी और बी ब्लड ग्रुप के लोग कोरोना से ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। रिसर्च पेपर में यह भी कहा गया है कि ओ ब्लड ग्रुप के लोगों पर इस बीमारी का सबसे कम असर हुआ है। इस ब्लड ग्रुप के ज्यादातर मरीज या तो एसिम्प्टोमैटिक हैं या फिर उनमें बेहद हल्के लक्षण देखे गए हैं। यह रिपोर्ट सीएसआईआर द्वारा देशभर में जुटाए सीरोपॉजिटिव सर्वे पर आधारित है। सीएसआईआर की यह रिपोर्ट दर्शाती है कि शाकाहारी लोगों की तुलना में मांस खाने वाले लोगों में कोविड-19 के खतरे की संभावना ज्यादा है।
यह दावा देशभर के करीब 10 हजार लोगों के सैंपल साइज पर आधारित है, जिसका विश्लेषण 140 डॉक्टर्स की एक टीम ने किया  है। इसमें पाया गया कि मांस खाने वाले कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या वेजिटेरियन लोगों से ज्यादा है और वेजिटेरियन डाइट में हाई फाइबर ही इस बड़े अंतर की वजह है।फाइबर युक्त डाइट एंटी-इन्फ्लेमेटरी होती है जो न सिर्फ इंफेक्शन के बाद गंभीर हालत होने से बचा सकती है, बल्कि इंफेक्शन को शरीर पर हमला करने से भी रोक सकती है। सर्वे में ये भी बताया गया है कि कोरोना संक्रमण के सर्वाधिक मामले एबी ब्लड ग्रुप से सामने आए हैं। जबकि बी ब्लड ग्रुप में कोरोना संक्रमण की संभावना इससे थोड़ी कम है। वहीं, ओ ब्लड ग्रुप के लोगों में सबसे कम सीरोपॉजिटिविटी देखी गई है।
आगरा के जाने-माने पैथोलॉजिस्ट डॉ अशोक शर्मा ने बताया कि ये सब कुछ किसी इंसान के जेनेटिक स्ट्रक्चर पर निर्भर करता है। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, ‘थैलेसीमिया (रक्त से जुड़ी अनुवांशिक बीमारी) के लोग मलेरिया से बहुत कम प्रभावित होते हैं। ऐसा कई मामलों में देखा गया है कि घर के किसी एक सदस्य को छोड़कर बाकी सभी लोगों को कोरोना हो गया है। ऐसा जेनेटिक स्ट्रक्चर की वजह से ही होता है।’डॉ. शर्मा ने कहा, ‘ऐसी भी संभावना है कि इस वायरस के खिलाफ ओ ब्लड ग्रुप के लोगों का इम्यून सिस्टम  एबी और बी ब्लड ग्रुप के लोगों की तुलना में ज्यादा अच्छे से रिस्पॉन्स करता हो। हालांकि इस पर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है। हालांकि इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं कि ओ ब्लड ग्रुप के लोग कोविड की रोकथाम के लिए सभी प्रोटोकॉल्स का पालन करना बंद कर दें। उन्होंने बताया कि ओ ब्लड ग्रुप के लोग भी वायरस से पूरी तरह सुरक्षित नहीं होते हैं और उनमें भी जटिल लक्षण विकसित हो रहे हैं।’सीएसआईआर के इस सर्वे पर सीनियर फीजिशियन डॉ एसके कालरा ने कहा, ‘ये केवल सर्वेक्षण का एक नमूना है, कोई साइंटिफिक रिसर्च पेपर नहीं है जिसका रिव्यू हुआ है। वैज्ञानिक समझ के बिना विभिन्न ब्लड ग्रुप के लोगों में संक्रमण की दर कैसे तय की जा सकती है। ओ ब्लड ग्रुप के लोगों में संक्रमण से लड़ने के लिए बेहतर इम्यूनिटी होती है, ये कहना फिलहाल जल्दबाजी होगी।’ उन्होंने कहा कि एक लार्ज स्केल पर किए गए सर्वे में अलग तस्वीर बनकर सामने आ सकती है। बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर ने दिल्ली से महाराष्ट्र तक लोगों को हिला दिया है। श्मशान घाट में अंतिम संस्कार के लिए लंबी कतारें देखी जा रही हैं। पवित्र गंगा नदी में लाशें बहती देखी जा रही है। संक्रमित लोगों के शवों को दाह संस्कार की बजाए नदियों में बहाया जा रहा है। बिहार में इस तरह के मामले लगातार देखे जा रहे हैं। हालांकि इस बीच अच्छी खबर ये है कि कोविड मरीजों का रिकवरी रेट एक बार फिर बढ़ गया है। बीते 24 घंटे में ही देश में करीब 3.55 लाख से ज्यादा लोग कोरोना को मात देकर ठीक हुए हैं। इतना ही नहीं, एक्टिव केस में भी कटौती हुई है। बीते 24 घंटे में एक्टिव केसों की संख्या 25 हजार तक कम हुई है, जो राहत की बात है।

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