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कोरोना की दूसरी लहर में अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों की इलाज के अभाव में हुई मौत, जानें- नोएडा का हाल

नोएडा: कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने कई लोगों को अपना निवाला बनाया लेकिन इस महामारी के दौरान अन्य बीमारियों से भी जूझ रहे लोगों ने इलाज के अभाव में अपनी जान गंवा दी. इसी की पड़ताल के लिए एबीपी गंगा की टीम नोएडा के कई गांवों में गई और वहां पर उन लोगों से मिली जिनके घर के सदस्य ने इस महामारी के दौरान इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया.

नहीं मिला इलाज 
एबीपी गंगा की टीम नोएडा के सेक्टर 73 स्थित सर्फाबाद गांव पहुंची और उन परिजनों से मिली जिन्होंने इस महामारी के दौरान सही से उपचार ना मिलने की वजह से अपने परिवार को खोया था. टीम की मुलाकात सबसे पहले सुरेंद्र शर्मा से हुई. सुरेंद्र ने बताया कि उनकी मां सरोज शर्मा (49 वर्ष) को 23 अप्रैल को टाइफाइड हुआ जिसके बाद उन्होंने झोलाछाप डॉक्टरों से उपचार कराना शुरू किया. लेकिन, जब उनकी हालत बिगड़ी तो वो अस्पताल दर अस्पताल भटकते रहे लेकिन कोरोना महामारी के दौरान ना तो डॉक्टरों ने उन्हें एडमिट किया और ना ही उनका उपचार हो सका. जब वो 26 अप्रैल को निजी अस्पतालों में भटकने के बाद नोएडा के जिला अस्पताल में पहुंचे तो वहां भी उन्हें करीब 2 घंटे इंतजार करना पड़ा. हालत ज्यादा खराब होने की वजह से उनकी मां ने जिला अस्पताल के बाहर ही इंतजार के दौरान दम तोड़ दिया.

अस्पतालों ने नहीं किया भर्ती 
इसके बाद टीम की मुलाकात बलराम यादव से हुई. बलराम यादव ने बताया उनकी मां सुधा यादव (45 वर्ष)  की तबीयत 18 अप्रैल को खराब हुई जिसके बाद उन्होंने डॉक्टर को दिखाया. डॉक्टरों ने उन्हें टाइफाइड बताया और 2 दिन की दवा दी. जिसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी और जब वो उन्हें इलाज के लिए निजी अस्पतालों में ले गए तो उन्हें किसी भी अस्पताल ने भर्ती नहीं किया. वो अस्पताल दर अस्पताल भटकते रहे. लेकिन, जब वो सरकारी अस्पताल पहुंचे तब तक देर हो गई और उनकी मां ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी से की बात 
हालांकि, इस पूरे मामले पर एबीपी गंगा की टीम ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी दीपक से बात की. ये जानने की कोशिश की गई कि आखिरकार कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान जो अन्य बीमारियों से ग्रसित लोग थे उनमें से कई लोगों ने उपचार के अभाव में दम तोड़ दिया ऐसा दोबारा ना हो इसके लिए क्या कदम अब जिला प्रशासन उठा रहा है तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी का साफ तौर से कहना था कि ऐसा जिले में ना अभी तक हुआ है

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