‘‘भारत कंडोम के इस्तेमाल में क्यों है पीछे?’- कंडोम अलायन्स द्वारा पेश की भारत की पहली ‘कंडोमोलोजी रिपोर्ट’ लेकर आई है इस सवाल का जवाब
नई दिल्ली, 28 मई, 2021ः भारत में युवाओं के कल्याण एवं सुधार के लिए सामुहिक रूप से काम करने वाले हितधारकों और कंडोम मार्केट प्लेयर्स के समूह कंडोम अलायन्स ने भारत की पहली कंडोमोलोजी रिपोर्ट का लाॅन्च किया है। कंडोमोलोजी, कंडोम के बारे में उपभोक्ताओं के मनोविज्ञान का मूल्यांकन करती है तथा इस संदर्भ का प्रासंगिक विवरण प्रस्तुत करती है। रिपोर्ट कंडोम के इस्तेमाल के बारे में उपभोक्ताओं की सोच, उनके दृष्टिकोण पर रोशनी डालती है, इसके इस्तेमाल में आने वाले बाधाओं और इससे जुड़ी गलत अवधारणाओं पर भी जानकारी देती है।
भारत एक युवा देश है, जिसकी 50 फीसदी से अधिक आबादी की उम्र 24 वर्ष से कम तथा 65 फीसदी आबादी की उम्र 35 वर्ष से कम है, किंतु युवाओं की इस क्षमता का सही उपयोग करने के लिए हमें उनके स्वास्थ्य एवं कल्याण को सुनिश्चित करना होगा। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 ;छथ्भ्ै दृ 4द्ध के मुताबिक 20-24 वर्ष के 78 फीसदी युवाओं ने अपने पिछले सेक्स पार्टनर के साथ यौन संबंध बनाते समय गर्भनिरोधक का इस्तमेाल नहीं किया, ये आंकड़े युवाओं के प्रजनन एवं यौन स्वास्थ्य समस्याओं को जल्द से जल्द हल करने की आवश्यकता पर ज़ोर देते हैं। अनियोजित गर्भधारण, असुरक्षित गर्भपात तथा यौन संचारी रोगों के बढ़ते मामले देश के युवाओं के सतत विकास के लक्ष्यों में बड़ी बाधा बने हुए हैं।
रिपोर्ट कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठाती है- हम कंडोम के इस्तेमाल में पीछे क्यों हैं? दुनिया भर में कंडोम के उपयेाग की बात करें तो इस दृष्टि से भारत की स्थिति क्या है? इन सवालों के जवाब दर्शाते हैं कि सोशल मीडिया एवं कैजु़अल डेटिंग ऐप्स के तेज़ी से विकसित होने के बावजूद देश के युवाओं को आज भी सुरक्षित यौन संबंध एवं गर्भनिरोधकों के बारे में सही जानकारी नहीं है।
आंकड़े देश पर मंडरा रहे प्रजनन एवं यौन स्वास्थ्य संकट की ओर इशारा करते हैंः
ऽ सिर्फ 7 फीसदी युवतियों और 27 फीसदी युवाओं ने शादी से पहले कभी भी कंडोम का इस्तेमाल नहीं किया। 3 फीसदी युवतियों और 13 फीसदी युवकों ने ही हमेशा कंडोम का इस्तेमाल किया। 2011 में जनसंख्या परिषद द्वारा किए गए एक अध्ययन ‘शादी से पहले कंडोम के इस्तेमाल एवं इससे जुड़े अन्य पहलुः भारत के प्रमाण’ में ये तथ्य सामने आए।
ऽ संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक भारत एचआईवी के मामलों की दृष्टि से तीसरे सर्वोच्च स्थान पर है।
ऽ पिछले सालों के दौरान सरकारी संगठनों एवं अन्य सस्ंथानों द्वारा जारी कई अभियानों के बावजूद कंडोम के बाज़ार में सिर्फ 2 फीसदी सीएजीआर की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि 1994 से 2019 के बीच दुनिया भर मंे पुरूष कंडोम पर भरोसा करने वाली महिलाओं की संख्या 64 मिलियन से बढ़कर 189 मिलियन हो गई।
ऽ राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के मुताबिक शेष दुनिया के विपरीत भारत में कंडोम के इस्तेमाल की दर बहुत कम मात्र 5.6 फीसदी बनी हुई है।
रिपोर्ट कई सवालों के माध्यम से ऐसे सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक कारणों पर रोशनी डालती है, जो कंडोम के इस्तेमाल में बाधा बने हुए हैंः
‘‘मुझे कंडोम की ज़रूरत क्यों है?’’ -गंभीर परिणामों के बारे में जागरुकता की कमी
‘‘क्या कंडोम इस्तेमाल करना सही फैसला है?’’ – इस्तेमाल के बारे मं मिथक एवं गलतफहमियां
‘मैं कंडोम कैसे प्राप्त करूं?’- लास्ट माईल पहुंच में बाधाएं
रिपोर्ट के लाॅन्च पर बात करते हुए श्री अजय रावल, संस्थापक सदस्य, कंडोम अलायन्स एवं जनरल मैनेजेर, मार्केटिंग, रेमंड कन्ज़्यूमर केयर ने कहा, ‘‘हमारे देश की बड़ी आबादी, खासतौर पर युवा कंडोम का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं तथा असुरक्षित यौन संबंधों में सक्रिय हैं, ऐसे में हमारे देश के प्रमुख संसाधन-युवाओं के प्रजनन एवं यौन स्वास्थ्य पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। रिपोर्ट कंडोम के इस्तेमाल के बारे में गलतफहमियों और भ्रांतियों पर भी रोशनी डालती है, जो कंडोम के इस्तेमाल में बड़ी रूकावट बने हुए हैं और इन भ्रांतियों को दूर करने के लिए जल्द से जल्द सही कदम उठाना ज़रूरी है। हमें समाज के युवाओं को इस विषय पर जागरुक बनाना होगा, यौन संबंध एवं गर्भनिरोधकों के बारे में खुली चर्चा को प्रोत्साहित करना होगा। अगर हम इसके बारे में बात नहीं करते, तो हम समाज में बड़े सकारात्मक बदलाव की उम्मीद नहीं रख सकते।’’
विथिका यादव, सदस्य कंडोम अलायन्स एवं संस्थापक, लव मैटर्स ने कहा, ‘‘हमारे देश को गर्भनिरोधकों के बारे में खुली चर्चा एवं संवाद की आवश्यकता है। युवा हमारे देश का तकरीबन 2/3 हिस्सा बनाते हैं, उनके लिए ज़रूरी है कि यौन संबंधांे के बारे में बातचीत करते हुए शर्म महसूस न करें बल्कि सुरक्षित यौन संबंधों के साथ अपने बेहतर स्वास्थ्य को सुनिश्चित करें। उन्हें यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य तथा अपने यौन अधिकारों के बारे में सहीं जानकारी मिलनी चाहिए। यह रिपोर्ट इसी चर्चा को समाज की मुख्यधारा में लाने का बेजोड़ प्रयास है।’’
रवि भटनागर, सदस्य कंडोम अलायन्स एवं रैकिट डायरेक्टर आफ एक्सटर्नल अफेयर्स एण्ड पार्टनरशिप्स, एशिया, मध्यपूर्व एवं दक्षिण अफ्रीका ने कहा, ‘‘यह रिपोर्ट सभी हितधारकों को स्थिति का संज्ञान लेने के लिए आह्वान करती है, ताकि लोगों के व्यवहार में बदलाव लाया जा सके। हाल ही में लाॅन्च किए गए किशोर शिक्षा प्रोग्राम से लेकर दवा विक्रेताओं को संवेदनशील बनाने, कंडोम की खरीद को सुगम बनाने, इनकी खरीद में आने वाली रूकावटों को दूर करने तक- अभी इस दिशा में बहुत काम करना बाकी है। कंडोम के इस्तेमाल के संदर्भ में समाज में मौजूद सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक बाधाओं को दूर करने के लिए ज़रूरी कदम उठाने होंगे, ताकि युवाओं को कंडोम इस्तेमाल करने के सही फैसले के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।’’
इस अवसर पर श्री बालाजी, सदस्य, कंडोम अलायन्स एवं सीनियर वाईस प्रेज़ीडेन्ट, आपरेशन्स, टीटीके प्रोटेक्टिव डिवाइसेज़ लिमिटेड-टीटीके हेल्थकेयर लिमिटेड ने कहा, ‘‘पिछला साल अपने आप में बहुत अलग था। इस दौरान हमने स्वास्थ्य के महत्व को समझा। समय आ गया है कि हम अपने युवाओं को यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य की दृष्टि से सुरक्षित विकल्प चुनने के लिए प्रेरित करें। यह रिपोर्ट इसी दिशा मे एक प्रयास है। समाज के मुख्य हितधारकों के बीच सुरक्षित यौन सबंध एवं गर्भनिरोधकों के बारे में ख्ुाली चर्चा को बढ़ावा देना तथा इसे समाज की मुख्यधारा में लाना रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य है।’’