मद्रास कोर्ट ने रेनां- निसान को कोविड नियम मानने का दिया आदेश, स्टाफ ने कंपनी पर लापरवाही बरतने का लगाया था आरोप
मद्रास उच्च न्यायालय ने ऑटो प्रमुख रेनां-निसान के प्लांट पर सरकारी अधिकारियों के कोविड 19 सुरक्षा सावधानियों के अनुपालन पर निरीक्षण करने की बात कही है. मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा कि कर्मचारी हड़ताल पर चले गए, साथ ही बताया कि कर्मचारियों ने श्रीपेरंबुदूर संयंत्र में कोविड से जुड़े प्रोटोकॉल का पालन न किए जाने का आरोप लगाया है. दरअसल कुछ दिन पहले कोविड से संक्रमित होने के बाद कुछ कर्मचारियों की मौत हो गई थी. इसी वजह से कर्मचारियों ने कंपनी में सख्त सुरक्षा बनाए रखने की मांग की है. वहीं पहले कोर्ट गए मजदूरों का कहना है कि प्लांट में सोशल डिस्टेंसिंग तभी संभव हो सकती है, जब असेंबली लाइन में दो गाड़ियों के बीच गैप रखा जाए और हर लाइन पर तीन से चार आदमी ही काम करें, जबकि वर्तमान में मौजूदा सेटअप में सेटअप पर छह से आठ लोग काम कर रहे हैं. श्रमिकों ने कंपनी से सोशल डिस्टेंसिंग समेत कोविड के अन्य नियमों के पालन की मांग की है. साथ ही उनकी अन्य मांगों में मरने वाले श्रमिकों के परिवारों का पुनर्वास और बीमार लोगों का चिकित्सा उपचार शामिल है.
सुरक्षा –व्यवस्था का रखा जाएगा ध्यान
रेनां-निसान ने अपने बयान में कहा है कि उसने 26 मई को कोविड से कुछ श्रमिकों की मौत के बाद परिचालन निलंबित कर दिया था. रेनां-निसान ने कहा कि ‘हम वर्तमान में अपने वर्तमान सुरक्षा प्रोटोकॉल, और भविष्य के सुरक्षा उपायों की समीक्षा कर रहे हैं, और संघ के प्रतिनिधियों के साथ घनिष्ठ और रचनात्मक बातचीत जारी रखे हुए हैं, जिससे की हम ये सुनिश्चित कर सकें कि जब संयंत्र फिर से शुरू हो तो सुरक्षा के उच्चतम मानकों को लागू किया जा सके’.
सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ तमिलनाडु
राज्य में कोविड के मामलों के विस्फोट के बाद पिछले महीनों में तमिलनाडु में विनिर्माण को नुकसान हुआ है. तमिलनाडु वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से एक रहा है और यहां 3,01,781 एक्टिव मरीज हैं. वहीं श्रमिकों के विरोध के बाद पिछले हफ्ते ऑटो प्रमुख रेनां-निसान, फोर्ड और हुंडई के संयंत्रों में काम बंद हो गया था, जबकि अप्रैल में इसने 17,207 कारों का निर्माण किया था.