नई व्यवस्था
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में मॉडल टेनेन्सी एक्ट यानी आदर्श किराएदारी कानून को मंजूरी दे दी है। इस कानून में मकान मालिक और किराएदार दोनों के हितों का प्रावधान किया गया है। इनसे जुड़े विवादों के निपटारे के लिए अथॉरिटी या अलग कोर्ट बनाने का भी प्रस्ताव है।
नए कानून के प्रस्ताव के मुताबिक मकान मालिक किराएदार से 2 महीने से ज्यादा एडवांस किराया नहीं ले सकेंगे। वहीं अगर किराया नहीं मिलता है या किराएदार मकान खाली नहीं करता है, तो मकान मालिक 2 से 4 गुना तक किराया वसूल सकेंगे। सरकार के मुताबिक इससे देशभर में किराए पर मकान देने की मौजूदा व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव करने में मदद मिलेगी और किराए का कारोबार तेजी पकड़ेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में कैबिनेट ने इस कानून को मंजूरी दी है। इसे सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भेजा जाएगा। इसके मुताबिक वे अपने किराएदारी कानून में बदलाव या संशोधन कर सकेंगे। सरकार ने पहली बार 2019 में इस अधिनियम का मसौदा जारी किया था। इसका उद्देश्य किराएदारों और संपत्ति मालिकों के बीच जवाबदेही को स्पष्ट करना है और दोनों के बीच भरोसे की कमी को पाटना है।
रेंटल हाउसिंग में निजी लोगों या कंपनियों का हिस्सा बढ़ेगा
- नया कानून अमल में आने के बाद वे मकान या प्रॉपर्टी बाजार का हिस्सा हो जाएंगे, जो काफी अरसे से बंद पड़े थे। इससे ज्यादातर लोग अपने खाली पड़े मकानों को किराए पर देने को प्रेरित होंगे, क्योंकि नए कानून में इससे जुड़े विवाद सुलझाने का प्रावधान किया गया है।
- किराए पर मकान देने के कारोबार में बड़ी संख्या में निजी क्षेत्र के संगठित खिलाड़ी आगे आएंगे और मकानों की तंगी दूर होगी। नया कानून इन प्रॉपर्टी को किराए पर चढ़ाने का अधिकार देगा। इससे रेंटल हाउसिंग में निजी लोगों या कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़ जाएगी।
- राज्य अपने हिसाब से इस कानून में बदलाव कर सकेंगे। किराए से जुड़े विवादों के निपटारे के लिए वे रेंट कोर्ट या रेंट ट्रिब्यूनल का गठन भी करेंगे।
प्रमुख प्रावधान: मरम्मत के लिए किराएदार को 24 घंटे पहले नोटिस देना होगा, किराया नहीं चुकाया तो 4 गुना वसूल सकेंगे
- सरकार का कहना है कि मॉडल टेनेंसी एक्ट का उद्देश्य देश में एक जीवंत, टिकाऊ और समावेशी रेंटल हाउसिंग मार्केट बनाना है। यह खाली पड़े घरों को किराए के लिए उपलब्ध कराने में मदद करेगा और सभी आय वर्ग के लिए किराए के पर्याप्त आवास का स्टॉक बनाने में काम आएगा। इससे बेघरों के मुद्दे से भी निपटा जा सकेगा।
- मकान मालिक और किराएदार के बीच विवाद की सबसे बड़ी जड़ एडवांस रकम या सुरक्षा राशि को लेकर महत्वपूर्ण प्रावधान किया गया है। इसमें आवासीय परिसर के मामले में अधिकतम 2 महीने और गैर-आवासीय परिसर के मामले में 6 महीने तक एडवांस लेने की सीमा तय की गई है। अभी यह शहरों के हिसाब से अलग-अलग है, जैसे- दिल्ली में मासिक किराए का 2-3 गुना, तो मुंबई और बेंगलुरु में मासिक किराए के 6 गुना तक वसूला जाता है।
- परिसर को खाली करने को लेकर भी जरूरी प्रावधान किया गया है। अगर संपत्ति मालिक रेंट एग्रीमेंट की शर्तों को पूरा करता है उसे ज्यादा अधिकार होंगे। अगर नोटिस के बावजूद किराएदार तय तारीख तक मकान खाली नहीं करता है, तो मालिक पहले दो महीने दोगुना और उसके बाद 4 गुना किराया वसूल सकेगा।
- संपत्ति मालिक रिपेयर या अन्य काम करवाना चाहता है, तो 24 घंटे पहले नोटिस देना होगा।