दिल्ली। देश-विदेश के कई वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है। मुश्किल ये है कि अब तक बच्चों के लिए वैक्सीन बनाने की बात तो दूर उन पर इसका ट्रायल भी शुरु नहीं हुआ है। लेकिन हाल ही में ब्रिटेन ने 12 साल से अदिक उम्र के बच्चों पर वैक्सीन के ट्रायल की मंजूरी दे दी है। भारत सरकार ने भी हाल ही में भारतीय टीके कोवैक्सीन को बच्चों पर ट्रायल की अनुमति दी है। इसी के तहत भारत बॉयोटेक और ICMR द्वारा कोवैक्सिन का बच्चों पर ट्रॉयल सोमवार से नई दिल्ली एम्स में शुरू होगा। मिली जानकारी के मुताबिक इसके लिए 18 बच्चों को सोमवार को दिल्ली एम्स में बुलाया गया है।

कुछ दिन पहले ही ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने बच्चों पर कोवैक्सिन का दूसरे और तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल करने की मंजूरी दी थी। उसके बाद पटना एम्स ने पिछले हफ्ते 12 से 18 साल के बच्चों पर कोवैक्सिन का ट्रायल पिछले हफ्ते ही शुरु किया था। दिल्ली को भी ट्रायल की एक साइट के रूप में चुना गया है. दिल्ली के अलावा पटना एम्स और नागपुर के मेडिट्रिना इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में बच्चों पर कोवैक्सिन का ट्रायल हो रहा है। पहले 12 से 18 साल के बच्चों पर इसका ट्रायल होगा, उसके बाद 6-12 साल के बच्चों पर और आखिर में 2-6 साल के बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रायल किया जाएगा।

देशभर में बच्चों पर होने वाले इस ट्रायल में कुल 525 बच्चों को शामिल किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक, कोवैक्सिन की दोनों खुराकों को 28 दिनों के अंतराल पर दिया जाएगा। इस दौरान देखा जाएगा कि बच्चों पर कोरोना वैक्सीन कितनी असरदार है और इसके कोई दुष्प्रभाव तो नहीं हैं। अगर इसमें कामयाबी मिली, तो देश में कोरोना पर काबू पाने का मिशन सफल होने की उम्मीद की जा सकती है।