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घाटे से बचने के लिए बीसीसीआई यूएई में करा रहा आईपीएल; राज्यों को 60 करोड़ का नुकसान, उन्हें 3 साल से फंड का इंतजार

करोड़ाें की कमाई से अपनी तिजोरी भरने के लिए बीसीसीआई नए-नए प्रयोग कर रहा है। आईपीएल जैसी दुनिया की सबसे लोकप्रिय लीग के आयोजन के साथ-साथ विदेशी दौरे से क्रिकेट इंटरनेशनल लेवल पर छा रहा है। लेकिन बोर्ड को सुपरस्टार खिलाड़ी देने वाले स्टेट एसोसिएशन का क्रिकेट बैकफुट पर जा रहा है। इनकी कमाई का प्रमुख जरिया बीसीसीआई से मिलने वाला फंड और आईपीएल है।

2019 से राज्य संघों के विकास कार्यों पर ब्रेक लगा हुआ है
बोर्ड ने 2200 करोड़ रु. के नुकसान से बचने के लिए टी20 लीग को यूएई शिफ्ट कर दिया। लेकिन स्टेट एसोसिएशन के घाटे के बारे में नहीं सोचा। पिछले साल भी आईपीएल यूएई में हुआ था, जिससे स्टेट एसोसिएशन को काफी नुकसान हुआ था। बोर्ड की अनदेखी से 2019 से राज्य संघों के विकास कार्यों पर ब्रेक लगा हुआ है। उन्हें तीन साल से फंड का इंतजार है, जिसके अभाव में राज्यों में कोई बड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा नहीं हो पाया है, संघ इक्विपमेंट भी नहीं खरीद पा रहे हैं।

जबकि अध्यक्ष गांगुली ने 1 दिसंबर 2019 को घोषणा की थी कि बेहतर बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करना जरूरी है। इसलिए हम सिर्फ एक बार में पैसा नहीं देंगे बल्कि इसे विभागीय कर देंगे। बीसीसीआई कार्यों की निगरानी करेगा। इस घोषणा के बावजूद तीन साल से किसी राज्य संघ को सब्सिडी नहीं मिल सकी है। इस बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। बीसीसीआई ने 1994 में फैसला किया था कि कमाई का 70% हिस्सा क्रिकेट के विकास में खर्च होगा। स्टेट बोर्ड को इस बार के 29 मैच की राशि भी नहीं मिली, बीसीसीआई प्रति मैच 1 करोड़ मेजबान स्टेट को देता है

यूएई में आईपीएल फेज-2 के बचे 31 मैच कराने से बीसीसीआई का नुकसान तो टल जाएगा
यूएई में आईपीएल फेज-2 के बचे 31 मैच कराने से बीसीसीआई का नुकसान तो टल जाएगा। लेकिन स्टेट बोर्ड को भारी नुकसान होगा। बोर्ड राज्यों को 1 मैच का 1 करोड़ रु. देता है। इसके अलावा टिकट विंडो, स्टेडियम से भी कमाई होती है। लेकिन अब उसे इस बड़ी कमाई से हाथ धोना पड़ेगा। इसके अलावा 29 मैच की राशि भी अभी तक राज्यों को नहीं मिली। सूत्रों के अनुसार, इस बारे में बीसीसीआई की ओर से कोई ई-मेल राज्य संघ को नहीं भेजा गया है। एक स्टेट एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि बीसीसीआई आईपीएल फेज-2 की तैयारी कर नुकसान की भरपाई की कोशिश में है। ऐसे हालात में हम अपनी मैच फीस के बारे में कैसे डिमांड कर सकते हैं। अगर मांग की तो डर है कि हमें भविष्य में होने वाले मैचों की मेजबानी से वंचित किया जा सकता है। तीन साल से हम वार्षिक फंड के इंतजार में ही हैं।

बोर्ड ने नॉर्थईस्ट में विकास के लिए 50 करोड़ दिए थे
बीसीसीआई नॉर्थईस्ट के राज्यों में भी क्रिकेट को बढ़ावा देना चाहता था। इसलिए 2017 में उसने 50 करोड़ रुपए दिए थे। इसमें न्यू एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम (एनएडीपी) बनाया गया। इसमें इंटरनेशनल लेवल के स्टेडियम, इंडोर प्रैक्टिस फैसिलिटी और एक अलग एकेडमी भी शामिल थी। इससे पहले, 2014-15 में गुजरात, तमिलनाडु, बंगाल, उप्र, 2015-16 में हिमाचल, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और 2016-17 में पंजाब और विदर्भ के एसोसिएशन को बीसीसीआई ने आर्थिक सहयोग दिया था।

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