मेयर Vs सरकार मामले में नया मोड़:सरकार ने बीजेपी की पूर्व मेयर और वर्तमान वित्त समिति अध्यक्ष शील धाबाई को सौंपा कार्यभार, वसुंधरा खेमे की मानी जाती हैं

राज्य सरकार ने जयपुर नगर निगम ग्रेटर की निवर्तमान मेयर सौम्या गुर्जर के निलंबन के मामले में नया दाव खेला है। सरकार ने आज देर रात एक आदेश जारी कर भाजपा की ही पार्षद और वित्त समिति की अध्यक्ष शील धाबाई को मेयर का कार्यभार सौंप दिया। धाबाई वसुंधरा खेमे की मानी जाती हैं। रविवार को जब भाजपा मुख्यालय में मेयर के निलंबन के बाद पार्टी पदाधिकारियों की बैठक हुई थी। तब वसुंधरा समर्थक विधायक अशोक लाहोटी, कालीचरण सराफ, नरपत सिंह राजवी ने इस बैठक से दूरी बना ली थी।
सरकार का यह निर्णय इसलिए भी चौंकाने वाला भी रहा है, क्योंकि इससे पहले कार्यवाहक मेयर के तौर पर कांग्रेस की ही किसी महिला पार्षद को नियुक्त किए जाने की देर शाम तक अटकले लगाई जा रही थी। शील धाबाई इससे पहले भी जयपुर की मेयर रह चुकी है। नवंबर 2020 में हुए नगर निगम चुनावों के परिणाम के बाद शील धाबाई को मेयर का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन भाजपा ने एनवक्त पर सौम्या गुर्जर को मैदान में उतारकर धाबाई की उम्मीदों पर पानी फेर दिया था।
जयपुर की तीसरी मेयर बनी थी शील धाबाई
जयपुर में नगर निगम बनने के बाद जब साल 1999 में जब दूसरा बोर्ड बना था, तब निर्मला वर्मा मेयर बनी थी। निर्मला वर्मा 29 नवंबर 1999 से 16 अगस्त 2001 तक रही। वर्मा के निधन शील धाबाई 4 दिसंबर 2001 से 28 नवंबर 2004 तक जयपुर की मेयर रही। मेयर के बाद शील धाबाई ने भाजपा की टिकट से कोटपूतली से विधानसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन वह हार गई थी।