Sun. Nov 24th, 2024

G7 लीडर्स से मुलाकात के बाद WHO चीफ की हिदायत- कोरोना कहां से आया, इस जांच में सहयोग करे चीन

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख डॉ. टेड्रोस गेब्रयेसस ने चीन को कोरोना के ऑरिजिन को लेकर चल रही जांच में सहयोग करने को कहा है। उनका ये बयान ब्रिटेन में चल रही ग्रुप ऑफ-7 (G-7) समिट में शनिवार को शामिल होने के बाद आया है।

WHO चीफ ने कहा है कि जांच के अगले चरण में ज्यादा पारदर्शिता (ट्रांसपेरेंसी) रखी जाएगी। उन्होंने कहा कि जांच पूरी करने के लिए हमें चीन का सहयोग चाहिए। पिछली जांच रिपोर्ट का जिक्र करते हुए टेड्रोस ने कहा कि उस रिपोर्ट के जारी होने के बाद डेटा शेयर करना मुश्किल था। खासतौर पर वह डेटा, जो कच्चे रूप में था।

अमेरिकी मीडिया वॉल स्ट्रीट जनरल के मुताबिक डॉ. टेड्रोस ने कहा कि शनिवार को G-7 देशों के नेताओं ने समिट में जांच को आगे बढ़ाने पर जोर दिया है। हम इसे अगले चरण में ले जाने की तैयारी कर रहे हैं।

US को मिला ब्रिटेन का साथ
पिछले कुछ दिनों में अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया WHO से जांच जल्द आगे बढ़ाने की मांग कर चुके हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात के बाद गुरुवार को ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने कोरोना पर चल रही जांच का मुद्दा उठाया था। उन्होंने जॉइंट स्टेटमेंट में कहा था कि हम भी समय से, सबूतों पर आधारित पारदर्शी जांच चाहते हैं। इस जांच में चीन को भी शामिल किया जाना चाहिए।

जो बाइडेन ने 90 दिन में मांगी है रिपोर्ट
US प्रेसिडेंट जो बाइडेन अमेरिकी जांच एजेंसी को कोरोना के ऑरिजिन की बारीकी से जांच करने के लिए पहले ही कह चुके हैं। मई के आखिर में उन्होंने जांच एजेंसियों से 90 दिनों के अंदर रिपोर्ट देने को कहा था।

उन्होंने जांच एजेंसियों को चीन की वुहान लैब से वायरस निकलने की आशंका को लेकर भी जांच करने को कहा था। बाइडेन ने जांच एजेंसियों से कहा था कि ये वायरस जानवर से फैला या किसी प्रयोगशाला से, इस बारे में स्पष्ट जांच की जाए।

US की कोशिश, चीन पर बढ़े दबाव
बाइडेन ने जांच में इंटरनेशनल कम्युनिटी से मदद करने की अपील की थी। बाइडेन ने कहा था कि अमेरिका दुनियाभर में उन देशों के साथ सहयोग जारी रखेगा, जो वायरस की जांच सही ढंग से कराना चाहते हैं। इससे चीन पर पारदर्शी और अंतर्राष्ट्रीय जांच में भाग लेने का दबाव डालने में आसानी होगी।

एंथनी फॉसी भी जाहिर कर चुके हैं शक
अमेरिका कोरोना वायरस की जांच के मामले में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इससे पहले कोरोना वायरस टास्क फोर्स के चीफ और अमेरिका के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फॉउसी ने वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) से कोरोना की उत्पत्ति को लेकर जांच आगे बढ़ाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि इस मामले में किसी थ्योरी को खारिज नहीं किया जा सकता। इसके पहले ऑस्ट्रेलियाई सरकार के एक मंत्री ने भी इसी तरह का बयान दिया था।

ऑस्ट्रेलियाई एक्सपर्ट का दावा, कोरोना चीन का जैविक हथियार
कुछ दिन पहले ‘वीकेंड ऑस्ट्रेलिया’ ने भी एक एक्सपर्ट के हवाले से कहा था कि चीन 2015 से जैविक हथियार बनाने की कोशिश कर रहा है और उसकी मिलिट्री भी इसमें शामिल है। इस एक्सपर्ट ने शक जताया था कि लैब में रिसर्च के दौरान गलती से यह वायरस लीक हुआ। इसके बाद अमेरिकी अखबार ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा- चीन वायरस की जो थ्योरी बताता है, उस पर शक होता है, क्योंकि नवंबर 2019 में ही वहां वुहान लैब के तीन वैज्ञानिकों में इसके लक्षण पाए गए थे और उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था।

WHO की मुश्किलें फिर बढ़ेंगी
डोनाल्ड ट्रम्प जब राष्ट्रपति थे, तब उन्होंने कई बार सार्वजनिक तौर पर कहा था कि कोरोना वायरस को चीनी वायरस कहा जाना चाहिए, क्योंकि यह चीन से निकला और चीन ने ही इसे फैलाया। ट्रम्प ने तो यहां तक दावा किया था कि अमेरिकी जांच एजेंसियों के पास इसके सबूत हैं और वक्त आने पर इन्हें दुनिया के सामने रखा जाएगा। हालांकि ट्रम्प चुनाव हार गए और मामला ठंडा पड़ गया। अब बाइडेन के सख्त रुख ने चीन और WHO की मुश्किलें फिर बढ़ा दी हैं।

चीन का दखल नहीं होना चाहिए
‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के मुताबिक, व्हाइट हाउस के अफसरों ने शुरुआत में ही साफ कर दिया था कि WHO को नए सिरे से और साफ सुथरी जांच करनी होगी। व्हाइट हाउस ने यह भी कहा था कि इस जांच से चीन को दूर रखा जाए। अब अगर WHO ऐसा नहीं करता है तो अमेरिका उसके लिए परेशानी का सबब बन सकता है। अमेरिकी हेल्थ सेक्रेटरी जेवियर बेरेका और उनकी टीम को शक है कि कोरोना वायरस लैब एक्सीडेंट की वजह से लीक हुआ। इस मामले में कुछ सबूत भी उनके पास बताए जाते हैं। बेरेका ने तो यहां तक कहा था कि चीन के कट्टर दुश्मन ताइवान को इस जांच का ऑब्जर्वर बनाया जाना चाहिए, जबकि वो WHO का मेंबर नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed