गलवान : भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन से अनबन की खबर आती ही रहती है। दोनो ही देश अपनी साजिशों के चलते हर कभी अपनी हरकतों से बाज नहीं आते हैं। पिछले साल 15 जून 2020 को चीन की नापाक हरकत को भारत के वीर जवानों ने ध्वस्त कर दिया था, जिसे गलवान घाटी हिंसक घटना के रूप में आज भी जाना जाता है। इस घटना को आज पूरे 1 साल हो चुके हैं। उस दौरान सैनिकों के बीच हुई इस हिंसक घटना ने दोनों देशों को युध्द के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया था। ये माहौल इतना ज्यादा तनावपूर्ण हो गया था कि किसी भी देश की तरफ से छोटी सी उकसावे की कार्रवाई LAC पर बड़े युध्द की शुरूआत को अंजाम दे सकती थी। भारत भी इस युध्द से लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार था। लद्दाख के पूर्वी इलाकों- पैंगोंग त्सो झील सहित तनाव वाले कई क्षेत्रों में दोनों देशों की सेनाएं महीनों तक एक-दूसरे के आमने-सामने रहीं।
भारत-चीन के बीच इस विवाद की स्थिति को लेकर जहां सेनाएं एक दूसरे के खिलाफ निरंतर आमने-सामने खड़ी रहीं वहीं भारत के लोग भी इस स्थिति को देखते हुए चीन के खिलाफ नीति को अपनाने लगे। गलवान घाटी की इस हिंसा का जिस क्षेत्र पर सबसे ज्यादा असर हुआ है वो दोनों देशों के बीच व्यापार और वाणिज्य है। दरअसल चीन के ऐसे अक्रामक रवैये के बाद भारत सरकार ने कड़ा रूख अख्तियार करते हुए चीन के निर्यात होने वाले कई उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया ताकि घरेलू सामानों के उत्पादों को बढ़ावा दिया जा सके। इसके बाद से ही केन्द्र सरकार ने टिकटाॅक, क्लब फैक्ट्र समेत लगभग 100 से ज्यादा चीनी कंपनियों के ऐप पर रोक लगा दी थी। इतना ही नहीं कई चीनी सामानों का बहिष्कार करने के साथ चीन के साथ व्यापार में करीब 5.6 फीसदी की गिरावट आई थी।
आधुनिक हथियार और गोला बारूद
15-16 जून की ही रात देश के वीर जवानों ने भारत माता की रक्षा करते हुए चीन की ईंट से ईंट बजा दी थी। इस हिंसक घटना में भारत के वीर जवानों के साथ चीनी सैनिक भी मारे गए थे। इस घटना के एक साल पूरे होने से पहले ही भारत ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर किलेबंदी कर दी थी। इस दौरान LAC पर अत्याधुनिक हथियार और रसद लंबे समय के लिए रिज़र्व कर लिए गए हैं। इतना ही नहीं आधुनिक हथियार ओर गोला बारूद लद्दाख में तैनात कर दिया गया है। देश की सुरक्षा को देखते हुए भारतीय फौज ने K-9 वज्र सेल्फ-प्रोपेल्ड आटेलरी गन को LAC पर लगाया है। इस गन में तोपों की तरह व्हील लगे होते हैं जिनकी वजह से यह आसानी से रेगिस्तान और पहाड़ों पर चल सकते हैं।
एयर डिफेंस सिस्टम को किया मजबूत
चीन की हरकतों को देखते हुए भारती सेना ने एयर डिफेंस सिस्टम को मजबूत करते हुए एलएसी पर आकाश मिसाइल, इजरायल से लिया स्पाइडर और रूस से खरीदे गए पेचोरा को तैनात कर दिया है। ये वही हथियार हैं जो दुश्मन की तरफ से आने वाले हर ड्रोन, फाइटर जेट और हेलीकाॅप्टर को पल भर में ही खतम कर सकता है। इसके साथ ही चीन के मंसूबों पर पानी फेरते हुए भारतीय वायु सेना ने एलएसी पर ‘स्पाइक 2000 मिसाइल‘, 300 और 320 स्पाइक लाॅन्ग रेंज एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल आर-73, 400 मीडियम रेंज एयर टू एयर गाइडेड मिसाइल और रडार बस्टिंग मिसाइल भी तैनात कर दी गई है।
रास्ते और पुल का किया निर्माण
चीन की नापाक हरकतों को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना ने फाॅरवर्ड क्षेत्र में कई रास्ते और पुल भी बना लिए हैं ताकि चीन के मंसूबों पर पानी फेर सके। इसका मतलब यह है कि पिछले साल के मुकाबले भारतीय सेना अब कुछ ही समय में एलएसी पर पहुंच सकती है। इन्ही तैयारियों के साथ ही एलएसी पर 15 से 18 महीने के लिए रसद को भी रिज़र्व कर लिया गया है। भारत अब हर तरह से चीन के खिलाफ खड़ा है।