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14 साल में दूसरी बार एक सप्ताह पहले उत्तराखंड पहुंचा मानसून

देहरादून। अनुमानित समय से एक सप्ताह पूर्व मानसून ने उत्तराखंड में दस्तक दे दी है। पिछले 14 साल में यह दूसरा मौका है, जब उत्तराखंड में मानसून ने 13 जून को ही आ गया है। केरल से मानसून को उत्तराखंड पहुंचने में महज 10 दिन का समय लगा, जबकि, आमतौर पर इसमें 17 से 20 दिन लगते हैं। बंगाल की खाड़ी में कम दबाव वाला क्षेत्र बनने के कारण इस बार मानसून की गति तेज बनी हुई है।

उत्तराखंड मौसम विज्ञान केंद्र के विज्ञानी रोहित थपलियाल के मुताबिक, उत्तराखंड में मानसून ठीक सात दिन पहले पहुंच गया है। पहले इसके 20 जून तक पहुंचने का अनुमान था, लेकिन बंगाल की खाड़ी में बनी स्थिति के कारण 13 जून को ही उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में दक्षिण-पश्चिम मानसून ने दस्तक दे दी। इससे पहले 2008 और 2013 में भी मानसून ने 15 जून से पहले ही दस्तक दी थी। मौसम विज्ञानी मानसून के व्यवहार में बदलाव का कारण बंगाल की खाड़ी में कम दबाव वाला क्षेत्र बनना मान रहे हैं। इस वजह से दक्षिणी पंजाब की ओर से ट्रफ लाइन (जमीन पर बना कम दबाव का क्षेत्र, जो एक रेखा में दूर तक फैला हुआ हो) केंद्र के बीच पहुंच रही है। साथ ही दक्षिण-पश्चिमी हवाओं का रुख भी पश्चिमी तटीय इलाकों से होते हुए आगे बढ़ा है।

मानसून जल्दी आने के प्रमुख कारण

मौसम विज्ञानियों के अनुसार, मानसून के समय से पहले पहले पहुंचने के तीन प्रमुख कारण हैं। देशभर में बड़े क्षेत्र में थंडरस्ट्राम तेज होना। पिछले एक सप्ताह में सामान्य से अधिक बारिश होना। चक्रवाती परिसंचण में तेजी आना। इन्हीं कारणों से मानसून की गति को रफ्तार मिली।

इस बार मानसून सामान्य रहने के आसार

मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार इस बार मानसून सामान्य रहने के आसार हैं। पिछले साल मानसून में 20 फीसद कम बारिश दर्ज की गई थी। लेकिन, इस बार इसमें बढ़ोत्तरी की उम्मीद है। उत्तराखंड में आमतौर पर औसतन 1200 मिलीमीटर बारिश दर्ज की जाती है। उत्तराखंड से मानसून की विदाई का समय सितंबर का अंतिम सप्ताह रहता है।

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