अजमेर दरगाह में मनाई महाना छठी:केवल रस्म अदा हुई, बंद रही जायरीनों की आवाजाही; दरगाह के पास स्थित घरों के झरोखों में खड़े होकरअकीदतमंद ने की दुआ
कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की महाना छठी शुक्रवार को मनाई गई। इस बार भी केवल रस्म अदा हुई। जायरीन और अन्य अकीदतमंद शामिल नहीं हुए। दरगाह के आसपास स्थित घर के झरोखों और छतों पर खड़े होकर अकीदतमंदों ने दुआ की। देश-दुनिया से कोरोना समाप्ति के लिए खास दुआ की गई।
दरगाह की अहाता ए नूर में छठी की फातिहा शुरू हुई। खुद्दाम ए ख्वाजा ने यह रस्म अदा कराई। कुरान शरीफ की तिलावत के बाद शिजरा खानी की गई। सलातो सलाम के बाद खास दुआ हुई। दरगाह में अदा की जा रही छठी की फातिहा में शामिल नहीं होने का मलाल जायरीन और अकीदतमंद को रहा। लंगर खाना गली, झालरा ऊपर और आसपास के इलाकों में स्थित घरों की और छत पर अकीदतमंद दुआ मांगते नजर आए। फजलु रहमान ने कहा कि दरगाह में एंट्री बंद थी। ऐसे अपने घर की छत पर खड़े होकर छठी की फातिहा में भी शिरकत हुई और दरगाह की जियारत भी हो गई। खानकाह के आसपास के अकीदतमंद ने दरगाह से आ रही आवाज के साथ दुआ में शिरकत की ।
बंद है आवाजाही
कोरोना की भयावह स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक जिला प्रशासन ने दरगाह में जायरीनों की आवाजाही बिल्कुल बंद कर दी है। हालत यह है कि इस बार पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन ने दिल्ली गेट, धान मंडी और दरगाह के निजाम गेट पर बड़े-बड़े बैनर लगाकर जायरीनों को सूचित कर दिया है कि कोरोना की वजह से दरगाह में जियारत बिल्कुल बंद है।
संपूर्ण लॉकडाउन में भी बनी थी ऐसी स्थिति
पिछले साल कोरोना के चलते लागू किए गए संपूर्ण लॉकडाउन में भी गरीब नवाज की छठी में ऐसी ही स्थिति बनी थी। दरगाह में केवल गिने चुने खुद्दाम हजरात ने ही छठी की फातिहा पढी थी। जायरीन की आवाजाही बंद थी। इस बार फिर वैसे ही स्थिति रही।
हर महीने 25,000 से अधिक जायरीन
गरीब नवाज की महाना छठी में आम दिनों में हर महीने 25,000 से अधिक जायरीन जुटते हैं। उर्स की छठी में यह संख्या लाखों में होती है। मिनी उर्स में भी भीड़ अधिक होती है, लेकिन लॉकडाउन में कोई जायरीन शामिल नहीं हुआ।