पूरा हुआ बदरी-केदार रेल लाइन का सीमांकन कार्य, रेलवे की भूमि के चारों ओर लगाए गए पिलर
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के लिए प्रस्तावित रेल लाइन का सीमांकन, सर्वेक्षण व चिह्नीकरण का कार्य पूरा कर लिया गया है। रेलवे स्टेशन कहां-कहां बनने हैं, इसके लिए सीमांकन हो चुका है और रेलवे की भूमि के चारों ओर पिलर लगा दिए गए हैं। इसके अलावा सोनप्रयाग से केदारनाथ के बीच रोपवे लगाने का प्रस्ताव रेल मंत्रलय को भेजा जा रहा है।
रेलवे विकास निगम लि. (आरवीएनएल) के अनुसार कर्णप्रयाग-केदारनाथ रेल लाइन सोनप्रयाग तक 91 किमी लंबी होगी। जिन स्थानों से यह लाइन गुजरेगी, वहां पिलर लगा दिए गए हैं। जबकि कर्णप्रयाग-बदरीनाथ रेल लाइन की लंबाई जोशीमठ तक 68 किमी होगी। यहां भी सभी चिह्नित स्थानों पर पिलर लगा दिए गए हैं। कर्णप्रयाग से केदारनाथ तक छह, जबकि कर्णप्रयाग से बदरीनाथ तक पांच स्टेशन होंगे। इनका सीमांकन कार्य पूरा हो चुका है। आरवीएनएल के सीनियर मैनेजर (सर्वे) सिद्धार्थ चौहान ने बताया कि प्रस्तावित केदारनाथ रेल लाइन पर जिन स्टेशनों का सीमांकन किया गया है, उनमें कर्णप्रयाग से आगे साइकोट, बड़ेथ, चोपता-फलासी (तल्ला नागपुर), मक्कूमठ, गडगू व सोनप्रयाग शामिल हैं। इनमें चोपता-फलासी, मक्कूमठ और गडगू में बनने वाले स्टेशन अंडरग्राउंड होंगे
इसी तरह बदरीनाथ रेल लाइन पर कर्णप्रयाग से आगे साइकोट, त्रिपाक, पीपलकोटी, हेलंग व जोशीमठ में बनने वाले स्टेशनों का सीमांकन कार्य भी पूरा हो चुका है। चौहान ने बताया कि केदारनाथ के लिए सोनप्रयाग व बदरीनाथ के जोशीमठ तक ही रेल ट्रैक का निर्माण होगा। इससे आगे 180-ग्रेडिएंट मानक पूरा न होने के चलते निगम ने रोपवे का सर्वे का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है।
19 सुरंगों से गुजरेगी केदारनाथ रेल लाइन
आरवीएनएल के सीनियर मैनेजर (सर्वे) सिद्धार्थ चौहान ने बताया कि केदारनाथ रेल लाइन 19 सुरंगों से होकर गुजरेगी। इनमें सबसे बड़ी सुरंग 17 किमी लंबी होगी। जबकि, बदरीनाथ रेल लाइन पर 11 सुरंग बननी हैं। इनमें सबसे बड़ी सुरंग 14 किमी लंबी होगी।
103 किमी लंबी होगी गंगोत्री-यमुनोत्री रेल लाइन
गंगोत्री-यमुनोत्री रेल लाइन पर रानीपोखरी (ऋषिकेश) से जाजल, मरोड़ा, कंडीसौड़, सरोट, चिन्यालीसौड़, डुंडा, उत्तरकाशी, मातली व नंदगांव-बड़कोट में दस स्टेशन होंगे। सभी का सीमांकन हो चुका है। यह रेल लाइन 103 किमी लंबी है। यमुनोत्री के लिए मातली से बड़कोट तक 19 किमी लंबी सिंगल टनल का निर्माण होना है। इसका भी सीमांकन कार्य पूरा कर लिया गया है।