बलिदान मेला : कोरोना योद्धा महिलाओं को मिला वीरांगना सम्मान, रानी की समाधि पर चढ़ाए फूल
ग्वालियर। महारानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस के मौके पर होने वाले आयोजनों पर लगातार दूसरी साल कोरोना का साया बरकरार है। अब तक किसी राष्ट्रीय महिला शख्सियत को दिया जाने वाला वीरांगना सम्मान, इस साल स्थानीय स्तर पर कोरोनाकाल में फ्रंटलाइन वर्कर्स के रूप में काम करने वाली महिलाओं को दिया गया। इसमें डाक्टर, पुलिसकर्मी, सफाईकर्मी, नर्स रहीं। सम्मान से पहले सुबह साढ़े 8 बजे लक्ष्मीबाई समाधि पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद अतिथियों ने मौन श्रद्धांजलि दी। इसके बाद भजनों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी, सांसद विवेक शेजवलकर और मेला आयोजक व पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया मौजूद रहे। शाम को इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक पर आनलाइन ओज रस से परिपूर्ण कवि सम्मेलन में विनीत चौहान काव्य पाठ करेंगे।
काेराेना याेद्धाआें काे मिला सम्मानः इस साल बलिदान मेला के मौके पर कोरोनाकाल के दौरान सेवाभाव के साथ लोगों की मदद करने में अग्रणी भूमिका निभाने वाली डाक्टर नीलिमा टंडन, डाक्टर नीलिमा सिंह, डाक्टर अर्चना कंसल, आइपीएस (एएसपी) हितिका वासल, नर्स टिंटू कुचेरिया, स्वच्छताकर्मी चंपा व किरण को वीरांगना के नाम से नारी शक्ति सम्मान पूर्व राज्यपाल व सांसद के हाथों से प्रदान किया गया।
गंगादास की बड़ी शाला में वीरांगना व शहीद संतों को दी गई पुष्पांजलिः सिद्घपीठ श्रीगंगादास जी की बड़ी शाला में आज शुक्रवार काे 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की अमर सेनानी रानी लक्ष्मीबाई एवं शहीद संतों को पुष्पांजलि अर्पित की गई। 1857 के स्वतंत्रता समर में जब झांसी की रानी अंग्रेजों से लड़ते हुए घायल हो गईं और वीरगति को प्राप्त हुईं, तब शाला के महंत सिद्घ संत श्री गंगादास महाराज ने उनकी पार्थिव देह की रक्षा करते हुए अपनी कुटिया में ही उनका अंतिम संस्कार किया। इस दौरान 745 संतों ने अंग्रेजी फौज से लोहा लेते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। 18 जून को रानी लक्ष्मीबाई के साथ इन संतो का भी बलिदान दिवस है। शुक्रवार को शाला के प्रांगण में वर्तमान महंत पूरण वैराठी पीठाधीश्वर स्वामी रामसेवक दास महाराज, संत-महात्माओं व पुजारी ने रानी लक्ष्मीबाई एवं शहीद संतों को पुष्पांजलि अर्पित की।