टोक्यो ओलिंपिक में भारत का दम:टेबल टेनिस में मनिका बत्रा देश की सबसे बड़ी उम्मीद, 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में जीत चुकी हैं 4 मेडल
कोरोना महामारी के कारण पिछले साल टलने के बाद आखिरकार इस साल 23 जुलाई से टोक्यो ओलिंपिक की शुरुआत हो रही है। भारत से 100 से ज्यादा खिलाड़ी इस मेगा स्पोर्ट्स इवेंट में दावेदारी पेश करेंगे। भारत को जिन खिलाड़ियों से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है उनमें टेबल टेनिस स्टार मनिका बत्रा भी शामिल हैं। मनिका सहित टेबल टेनिस में पहली बार चार भारतीय खिलाड़ी ओलिंपिक के लिए क्वॉलिफाई हुए हैं। मनिका से सिंग्लस के अलावा मिश्रित में अचंत शरत कमल के साथ मेडल जीतने की उम्मीद की जा रही है।
2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में जीते थे 4 मेडल
मनिका 2018 गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में देश के लिए चार मेडल जीतने के बाद टेबल टेनिस की नई सितारा बन कर उभरी हैं और युवाओं के लिए रोल मॉडल बनीं हैं। उन्होंने सिंगल्स और वुमन टीम इवेंट में गोल्ड मेडल जीते। इसके अलावा उन्होंने महिला डबल्स में सिल्वर मेडल जीता। मिश्रित इवेंट में भी मनिका को मेडल मिला। वे दूसरी बार ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करेंगी।
बताना चाहती हूं कि भारतीय खिलाड़ी भी जीत सकते हैं मेडल
मनिका का लक्ष्य ओलिंपिक में मेडल जीतकर पूरे विश्व को बताना है कि भारतीय खिलाड़ी भी टेबल टेनिस में ओलिंपिक में मेडल जीत सकते हैं। उन्होंने कहा- ‘ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतना हर खिलाड़ी का सपना होता है, मेरा भी है। मैं ओलिंपिक में मेडल जीतकर दुनिया की सोच बदलना चाहती हूं। मैं दिखाना चाहती हूं कि भारतीय भी टेबल टेनिस में मेडल जीत सकते हैं। वहीं टॉप्स (टारगेट ओलिंपिक पोडियम स्कीम) भी काफी बेहतर है। इससे मुझे ओलिंपिक की तैयारी के लिए काफी मदद मिली।’
चार साल की उम्र से टेनिस की शुरुआत
दिल्ली में जन्मी मनिका बत्रा तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। दोनों बड़े भाई-बहनों से प्रेरित होकर मनिका ने भी चार साल की उम्र में टेबल टेनिस खेलना शुरू किया। दिल्ली अंडर -8 टूर्नामेंट के दौरान कोच संदीप गुप्ता की नजर उन पर पड़ी। उन्होंने अपने अकेडमी में आकर ट्रेनिंग करने का ऑफर दिया। मनिका कहती हैं, ‘चार साल की उम्र में मैने जब टेबल टेनिस की शुरुआत की तो मुझे नहीं पता था कि मैं अंतरराष्ट्रीय लेवल तक जाऊंगी। मैंने तो केवल फन के लिए इस खेल को खेलना शुरू किया था। मुझे मॉडलिंग के ऑफर भी आए। मेरा माइंड में केवल एक ही बात थी कि टेबल टेनिस में आगे जाना है और अपने गेम को आगे तक लेकर जाना है। जब मेडल जीतने का बाद आपका राष्ट्रीय झंडा ऊपर जाता है और उस समय राष्ट्रगान बजता है तो वह अहसास अलग ही होता है। कॉमनवेल्थ गेम्स में जब देश का झंडा ऊपर जा रहा था और राष्ट्रीय धुन बज रही थी, आज भी मेरे जेहन में हैं।’
13 साल की उम्र में देश का प्रतिनिधित्व किया
2008 में सिर्फ 13 साल की उम्र में देश का प्रतिनिधित्व कर मनिका ने साबित कर दिया कि टेबल टेनिस को अपने जीवन का लक्ष्य बनाकर उन्होंने कोई गलती नहीं की। आने वाले समय में 2015 कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप और 2016 में साउथ एशियन चैंपियनशिप में मेडल जीत कर उनकी नजर 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स पर थी। जहां उन्होंने इतिहास रच डाला। कॉमनवेल्थ गेम्स में दो गोल्ड सहित चार मेडल जीते।
स्विच की टेक्नीक उनका बह्मास्त्र
मनिका के खेल का बह्मास्त्र है उनकी स्विच टेक्नीक। मनिका कहती हैं कि जब मैं घर में खाने के टेबल पर बैठती थी या कुछ सोचती थी, तो मैं अपने कलाई को घुमाती थी। फिर मैंने सोचा क्यों न इसे खेलने के दौरान आजमाया जाए। जिसके बाद मैने खेल में भी अपनाया।
जीतना ही लक्ष्य नहीं, बल्कि उदारहण पेश करना है
मनिका का लक्ष्य जीतना ही नहीं है, बल्कि एक उदारण पेश करना भी है, ताकि गांव- गांव से लड़कियां टेबल टेनिस अपना सकें। मनिका कहती हैं, ‘मैं चाहती हूं कि टेबल टेनिस को हर युवा पसंद करे। मैं नेशनल कैंप के दौरान अपने बिजी शेड्यूल में से टाइम निकालकर युवाओं को तकनीक के बारे में बताती हूं।’