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काम कोरोना से लड़ाई का और मेहनताना मजदूरों से भी कम , इंटर्न डॉक्टरों की व्यथा

उत्तराखंड में सच मे विचित्र स्थिति है कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के लिए इंटर्न डॉक्टरों कि ड्यूटी लगातार लगाई जा रही है लेकिन मेहनताना उन्हें एक मजदूर से भी कम दिया जा रहा है जी हां  कोविड- सेंटर के साथ-साथ कई अन्य रिस्क वाली जगहों पर भी इंटर्न डॉक्टरों को काम पर लगाया जा रहा है जहां इनकी जान को खतरा भी है ऐसे में पूरे प्रदेश भर में स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर यह इंटर्न डॉक्टर लगातार विरोध दर्ज करा रहे हैं दून मेडिकल कॉलेज के इंटर्न डॉक्टरों को आंदोलन जारी है। पिछले 8 दिनों से वो दून मेडिकल कॉलेज के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं। कहा कि अगर मांग जल्द पूरी ना हुई तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे।
युवा डॉक्टर कई दिनों से 7500 से मानदेय₹23500 बढ़ाए जाने की मांग को लेकर हड़ताल पर है। उनका आरोप है कि सरकार कोई सुध नहीं ले रही है। मेडिकल कॉलेज की ओर से भी प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। लेकिन अब तक उसमें कुछ नहीं हुआ। मंगलवार को वे आयुष मंत्री डा. हरक सिंह से मिले थे। जहां उन्होंने तीन मेडिकल कालेज के प्राचार्य को और स्वास्थ्य सचिव को इसका प्रस्ताव बनाने को कहा है। ताकि जल्द ही उनका स्टाइपेंड बढ़ाया जा से। प्रदर्शन में डा. अंकुर चौधरी,डा. पुलकित, डा. कनिका, डा. लक्षिता, डा. श्रेया,डा. रितेश चंद, डा. ऋषभ अग्रवाल और डा. नेहा चौधरी आदि मौजूद रह आपको बता दे कि  उत्तराखंड में देहरादून के दून मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षु डॉक्टरों का स्टाइपेंड बढ़ाने को लेकर पिछले आठ दिनों से विरोध जारी है. प्रशिक्षु डॉक्टर अपनी ड्यूटी देने के बाद स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं. इंटर्न डॉक्टर अपनी मांग को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र भी लिख चुके हैं, जिसमें उन्होंने कहा है कि प्रदेश में एमबीबीएस की फीस ज्यादा और स्टाइपेंड सबसे कम है.

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