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टोक्यो ओलिंपिक में भारत का दम:साई प्रणीत 18 किमी दूर साइकिल से ट्रेनिंग करने जाते थे, 37 साल बाद वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज जीतकर रचा इतिहास

37 साल बाद 2019 में बीसाई प्रणीत ने वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रचा था। प्रणीत से पहले प्रकाश पादुकोण ने 1983 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। प्रणीत सबसे बड़े टूर्नामेंट ओलिंपिक में अपना बेस्ट देना चाहते हैं। उनके अलावा बैडमिंटन में वुमन्स सिंगल्स में पीवी सिंधु भी टोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई कर चुकी हैं।

सिंधु रियो ओलिंपिक की सिल्वर मेडलिस्ट हैं। इनके अलावा डबल्स में भारतीय जोड़ी सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी देश का प्रतिनिधित्व करेंगे।

प्रणीत ने कहा- यह मेरा पहला ओलिंपिक है। किसी भी खिलाड़ी के लिए यह सबसे बड़ा टूर्नामेंट होता है। मेरे लिए भी है। मैं अपना बेस्ट देना चाहता हूं। फिलहाल, मेरा पूरा फोकस फिटनेस पर है। स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) से ओलिंपिक की तैयारी के लिए हमें हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।

18 किमी साइकिल चलाकर ट्रेनिंग के लिए जाते थे
प्रणीत का जन्म 10 अगस्त 1992 में हैदराबाद में हुआ था। उनके पिता प्राइवेट कंपनी में जॉब करते थे। प्रणीत रोजाना करीब 18 किमी साइकिल चलाकर ट्रेनिंग के लिए बैडमिंटन एकेडमी जाया करते थे। 4 घंटे ट्रेनिंग करने के बाद फिर वे स्कूल जाते थे। प्रणीत कहते हैं कि एकेडमी में आने के बाद उनके खेल को अलग दिशा मिली। वहां पर पूर्व खिलाड़ी गोपीचंद के मार्गदर्शन में उनके खेल में निखार आया।

प्रणीत कई ओलिंपिक मेडलिस्ट और वर्ल्ड चैंपियन को हरा चुके
प्रणीत ने 2013 की इंडोनेशिया सुपर प्रीमियर सीरीज में तौफीक हिदायत को 15-21, 21-12, 21-17 से हराकर तहलका मचा दिया था। 2004 एथेंस ओलिंपिक के गोल्ड मेडलिस्ट और इंडोनेशिया सुपर प्रीमियर सीरीज के 6 बार के विजेता तौफीक का यह फेयरवेल मैच था।

2014 के आखिर में प्रणीत चोटिल होकर कुछ दिनों तक बैडमिंटन से दूर हो गए थे। हालांकि वापसी के बाद उन्होंने 2016 में इंग्लैंड सुपर सीरीज के पहले राउंड में जापान के ली चोंग वेई को शिकस्त दी थी। तब ली चोंग 3 बार के ओलिंपिक सिल्वर मेडलिस्ट रहे थे। प्रणीत के मुताबिक, ली चोंग को हराने से उनका आत्मविश्वास काफी बढ़ा था।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल जीत चुके
प्रणीत ने वर्ल्ड चैंपियनशिप के अलावा 2016 और 2020 एशियन टीम चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता है। इसके अलावा 2010 वर्ल्ड जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप में भी मेन्स के सिंगल्स में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं। वहीं, 2017 के सिंगापुर ओपन के फाइनल में हमवतन किंदाबी श्रीकांत को हराकर चैंपियन बने थे। वे 2019 स्विस ओपन में रनरअप थे

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