भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट:पहले रूट पर 225 में से 180 पिलर तैयार, मेट्रो शुरू होने में लगेंगे कम से कम 4 साल
भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट का पहला रूट 16.05 किलोमीटर लंबा है। यह एम्स टू करोंद तक जाता है। फिलहाल इसी रूट निर्माण हो रहा है। पिछले 30 महीने में एम्स, होशंगाबाद रोड, सुभाषनगर, एमपी नगर जैसे क्षेत्र में 180 पिलर खड़े किए गए हैं। इस रूट पर 225 पिलर बनने हैं। देरी के लिए जमीन अधिग्रहण और लॉकडाउन को कारण बताया जा रहा है।
6981 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट पर अब तक बेसिक स्ट्रक्चर के नाम पर 138 करोड़ रु. ही खर्च हुए। यानी सिर्फ 2%। मेट्रो निर्माण से जुड़े विशेषज्ञों के अनुसार इस रफ्तार से रूट पर काम पूरा होने में कम से कम 4 साल लगेंगे। इस साल बजट में भोपाल मेट्रो के लिए 262 करोड़ रुपए मंजूर हुए हैं। काम की रफ्तार धीमी होने की वजह एकमुश्त बजट नहीं मिलना और जमीन अधिग्रहण के केस कोर्ट में पेंडिंग होना है। प्रोजेक्ट की लागत दो हजार करोड़ तक बढ़ सकती है।
80 किमी प्रतिघंटा रहेगी स्पीड
- मेट्रो की स्पीड 80 किमी प्रतिघंटा रहेगी। हालांकि, मेट्रो की स्पीड 90 किमी प्रतिघंटा तक रहती है।
एक नजर में प्रोजेक्ट
- निर्माण की शुरुआत : 2018
- समय सीमा : 2023
- लागत : 6941 करोड़ रुपए
- कब तक पूरा होने की संभावना : पहला फेज 2025 तक
- निर्माता कंपनी : दिलीप बिल्डिकॉन
भोपाल मेट्रो का बजट का गणित
कुल लागत : 6941.00 करोड़
राज्य का अंश (20%) : 1388.20 करोड़
केंद्र का अंश (20%) : 1388.20 करोड़
यूरोपियन इंवेस्टमेंट बैंक से लोन (50%) : 3,470.20 करोड़
बॉन्ड या किसी भारतीय बैंक से कर्ज (10%) : 694.10 करोड़
भोपाल मेट्रो में होंगे 3 कोच
भोपाल में चलने वाली मेट्रो रेल जयपुर मेट्रो जैसी ही होगी। सिर्फ कोच कम रहेंगे। जयपुर में 6 कोच वाली मेट्रो चलती है जबकि भोपाल में संख्या 3 होगी। हालांकि, यात्रियों की संख्या बढ़ेगी तो कोच भी बढ़ेंगे। प्रत्येक पांच मिनट में स्टेशन से रेल मिलेगी।
दूसरे रूट पर अभी काम नहीं
- कुल 29.04 किलोमीटर तक मेट्रो दौड़ेगी।
- एम्स से करोंद के बीच 16.05 किमी का रूट होगा। काम जारी।
- भदभदा से रत्नागिरी 12.99 किमी पर मेट्रो चलेगी। काम शुरू नहीं
पहला रूट : चुनौतियां भी अनेक
- मेट्रो के काम को लेकर अब तक एकमुश्त राशि जारी नहीं की गई है।
- जमीन अधिग्रहण से जुड़े कुछ मामले कोर्ट में चल रहे हैं। ये पूरा होने के बाद ही कहानी आगे बढ़ेगी।
- कोरोना काल में सरकार के सामने भी आर्थिक तंगी आई।
- एम्स से करोंद के बीच के रूट में डिपो बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण, अंडरग्राउंड रूट को लेकर भी चुनौतियां हैं।
- प्रोजेक्ट की लागत करीब 2 हजार करोड़ रुपये बढ़ सकती है।
- एम्स से करोंद के बीच रूट व स्टेशन को लेकर भी चुनौतियां हैं। जमीन आरक्षण को लेकर पेंच फंसे हुए हैं।