Fri. Nov 1st, 2024

सीएम बोले उपचुनाव हर हाल में लड़ेंगे और जरूर लड़ेंगे

सीएम तीरथ सिंह रावत ने दो टूक कहा कि वह उपचुनाव हर हाल में लड़ेंगे और जरूर लड़ेंगे। प्रदेश के कई विधायक उपचुनाव के लिए सीट खाली करने को तैयार हैं। यह संवैधानिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। इसके लिए पार्टी ने पूरी तैयारी कर ली है। पार्टी जहां से भी उपचुनाव लड़ाएगी, वहीं से लडूंगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ विधायक मेरे उप चुनाव लड़ने के लिए अपनी सीट खाली करने को तैयार हैं। इस संबंध में केंद्र को अवगत करा दिया गया है। केंद्र जहां से कहेगा, वहीं से उप चुनाव लडूंगा। तैयारियां की जा रही हैं। जल्द ही उपचुनाव होगा। सीएम ने बताया कि प्रदेश में उनके चाहने वालों की कमी नहीं है। जनता भी विकास कार्यों से काफी खुश है। सरकार भी लोगों को योजनाओं का लाभ दे रही है। आपको बता दें कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के उप चुनाव लड़ने को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने पार्टी का रुख स्पष्ट किया है।
कौशिक ने कहा था कि नियमानुसार चुनाव आयोग को चुनाव करवाना चाहिए। कहा कि आयोग उपचुनाव की घोषणा करे पार्टी तैयार है। उन्होंने कहा कि विधान मंडल दल के नेता को राज्यपाल मुख्यमंत्री मनोनीत करता है और मुख्यमंत्री की संस्तुति पर मंत्री मंडल को शपथ दिलाई जाती है। कौशिक ने संविधान की धारा 164(4) के विषय में बताया। कहा कि संविधान साफ तौर पर वर्णित हैं कि जो मुख्यमंत्री या मंत्री सदन का सदस्य नहीं है तो उनको 6 महीने में सदस्य बनना होता है। नहीं तो उसे पद से हटना होता। कहा कि संविधान में सभी व्यवस्था है उसी के अनुसार चुनाव आयोग को इस अवधि में चुनाव करना होता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में संवैधानिक संकट की कोई बात ही नहीं है। कौशिक ने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता बूथ स्तर तैयारी में जुटा हुआ है।
सल्ट उपचुनाव के परिणाम सामने आने के बाद अब, सीएम तीरथ सिंह रावत के चुनावी पत्ते का इंतजार बढ़ा है। तीरथ को नौ सितंबर तक विधानसभा की सदस्यता लेनी है। इस लिहाज से उन्हें इसी महीने अपने लिए चुनावी क्षेत्र का भी चयन करना होगा। तीरथ सिंह रावत ने दस मार्च को सीएम पद की शपथ ली थी। चूंकि तीरथ अभी विधायक नहीं है, इसलिए उन्हें नौ सितंबर तक विधानसभा सदस्यता लेनी है। अब जब सल्ट उपचुनाव का परिणाम निकल चुका है तो इस बात पर सस्पेंस और बढ़ गया है कि तीरथ के लिए कौन सा विधायक सीट खाली करेगा। निर्वाचन प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक उपचुनाव में भी सामान्य तौर पर तीन से चार महीने का समय लग जाता है। ऐसे में यदि किसी सीट पर सितंबर में चुनाव कराना है तो इसके लिए, मई तक सीट रिक्त भी घोषित करनी होगी। दूसरी तरफ सितंबर में उपचुनाव हुए तो इसके चार महीने बाद दिसंबर अंत या जनवरी में प्रदेश में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो जाएगी। इस कारण सीएम के निर्वाचन में सबकी दिलचस्पी बढ़ गई है
गंगोत्री सीट भी चल रही है रिक्त
गंगोत्री विधायक गोपाल सिंह रावत का भी गत 22 मार्च को निधन हो गया है। इस कारण यह सीट वर्तमान में रिक्त चल रही है। इस कारण गंगोत्री सीट से भी चुनाव लड़ने का विकल्प सीएम के सामने है। हालांकि गंगोत्री उनके लिए नया चुनावी रणक्षेत्र होगा। हालांकि अभी विधानसभा ने निर्वाचन आयोग को सीट रिक्त होने की सूचना नहीं दी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *