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कानून के “सुप्रीम” दरवाजे पर “देव दर्शनों” की गुहार

Dehradun: उत्तराखंड सरकार और हाईकोर्ट के बीच चार धाम यात्रा को शुरू कराने की कशमकश अभी जारी है। राज्य सरकार की योजना थी कि 1 जुलाई से 3 जिलों के लिए चार धाम यात्रा को शुरू कर दिया जाए लेकिन नैनीताल हाई कोर्ट राज्य सरकार की तैयारियों से संतुष्ट नहीं थी लिहाजा हाई कोर्ट ने सरकार के अब से पूर्व लिए गए उन सभी आदेशों को रद्द कर दिया जिनमें चार धाम यात्रा खोलने का निर्णय लिया गया था। इधर राज्य सरकार भी इस मुद्दे पर हार मानने को तैयार नहीं है और अब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
उत्तराखंड में चार धाम यात्रा शुरू होगी या नहीं इस पर सरकार भले ही अपने फैसले ले रही है लेकिन फैसलों का अनुपालन कराने में कानूनी अड़चन भी सामने आ रही हैं। हाई कोर्ट द्वारा तीन बार चार धाम यात्रा पर रोक लगाने के आदेशों के बाद अब राज्य सरकार सीधे उच्चतम न्यायालय से गुहार लगाने जा रही है। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट मैं इस मामले की सुनवाई के लिए सभी तैयारियां कर ली हैं। नानाजी राज्य सरकार की तैयारियों के अनुरूप चार धाम यात्रा को शुरू करने में महज 24 घंटे भी नहीं रह गए हैं सुप्रीम कोर्ट जाने के बावजूद 1 जुलाई से यात्रा शुरू हो पाएगी इसकी संभावनाएं बेहद कम है।
लगभग 1 महीने से राज्य सरकार चार धाम यात्रा को सीमित तौर पर शुरू करने की कोशिश कर रही है और इसके लिए तीन बार निर्णय लिया जा चुका है किंतु उत्तराखंड हाई कोर्ट राज्य सरकार की तैयारियों को अभी पूर्ण नहीं मानती और कई बार इस मसले पर सरकार को फटकार भी लगा चुकी है। अब देखना यह है की राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलती है या नहीं या फिर अभी चार धाम यात्रा के दर्शनों के लिए और लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।

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